छत्तीसगढ़ : मार्च-अप्रैल में हुई बेमौसम बरसात से खराब हुई फसलों से प्रभावित करीब डेढ़ लाख किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है।
मार्च-अप्रैल में हुई बेमौसम बरसात से खराब हुई फसलों से प्रभावित करीब डेढ़ लाख किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। किसानों के 150 करोड़ रुपए मुआवजे की फाइल मंत्रालय में वित्त विभाग में अटकी हुई है।
इस कारण से राजस्व विभाग वित्त विभाग से फंड जारी नहीं होने पर कलेक्टरों को राशि जारी नहीं कर पा रहा है। वहीं, मुआवजे की राशि के लिए प्रभावित किसान लगातार जिला कलेक्टरों के चक्कर काट रहे हैं। वहां से सिर्फ एक ही जवाब मिलता है कि फाइल शासन के पास भेज दी गई है, जैसे ही राशि मिलेगी मुआवजा खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
मार्च-अप्रैल में हुई बेमौसम बरसात से खराब हुई फसलों का मुआवजा शीघ्र दिया जाएगा। वैसे भी अब तक 29 करोड़ रुपए जारी किया जा चुका है। बची राशि के लिए फाइल वित्त विभाग को भेजी गई है।
मार्च-अप्रैल में हुई बेमौसम बरसात से सबसे अधिक दुर्ग, बालोद, कवर्धा और बेमेतरा के किसानों की फसलें खराब हुई थी। इस दौरान सरकार ने आनन-फानन में करीब 29 करोड़ रुपए जारी कर कुछ किसानों को मुआवजा बांट दिया था, लेकिन बाद में जब जिलों से मंत्रालय को सर्वे रिपोर्ट मिली तो करीब डेढ़ लाख किसानों को मुआवजा देना बाकी थी। यह राशि करीब 150 करोड़ के आसपास है।
बता दें कि असिंचित क्षेत्र के किसानों को धान की फसल खराब होने पर प्रति एकड़ करीब 17 हजार रुपए और सिंचित क्षेत्र के किसानों को करीब 13 हजार रुपए मुआवजा दिया जाता है। बता दें कि मार्च-अप्रैल में आंधी-तूफान के साथ हुई तीन-चार दिनों तक जमकर बारिश हुई थी।
प्रदेश के कई हिस्सों में जमकर ओलावृष्टि भी हुई थी। इस बिगड़े मौसम ने किसी को भी संभलने का मौका नहीं दिया था। बारिश का सबसे ज्यादा नुकसान प्रदेश के किसानों को झेलना पड़ा। उनकी फसलें खराब हो गई। साय सरकार ने किसानों का आश्वस्त किया था कि किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। सरकार सभी को मुआवजा देगी।
छत्तीसगढ़ में फसल क्षति के मुआवजे को दर्शाने वाला डेटा चार्ट हिंदी में प्रस्तुत किया गया है। चार्ट में 2018 से 2022 तक के वर्षों में मुआवजे की राशि करोड़ों रुपये में और किसानों की संख्या हजारों में दर्शाई गई है।