मिजोरम में अगले माह विधानसभा चुनाव है। विधानसभा की 40 सीटों के लिए 28 नवंबर को मतदान होगा। 11 दिसंबर को नतीजे घोषित होंगे। राज्य में इस बार भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट के बीच ही है। कांग्रेस राज्य में लगातार 10 साल से सरकार में है। पार्टी लगातार तीसरी बार जीत का दावा कर रही है। हालांकि मुख्य विपक्षी दल मिजो नेशनल फ्रंट भी पूरा जोर लगा रही है लेकिन उसका वोट शेयर पिछले दो चुनाव से लगातार गिर रहा है। वहीं भाजपा राज्य में 1993 से विधानसभा चुनाव लड़ रही है लेकिन अभी तक एक भी सीट नहीं जीत पाई है।
भाजपा को माना जाता है ईसाई विरोधी पार्टी
मिजोरम ईसाई बहुल राज्य है। राज्य की कुल आबादी करीब 11 लाख है। यहां 87 फीसदी ईसाई हैं। इस कारण चुनाव के दौरान धार्मिक कार्ड जमकर खेला जाता है। राज्य में भाजपा को ईसाई विरोधी पार्टी के रूप में माना जाता है। सिविल सोसायटी के नेतृत्व वाले वॉचडॉग ग्रुप ने पिछले विधानसभा चुनाव पर कड़ी नजर रखी थी। ईसाई विरोधी छवि के कारण भाजपा राज्य में अपने पैर नहीं पसार पाई है। भाजपा 1993 से चुनाव लड़ रही है लेकिन अभी तक वह खाता भी नहीं खोल पाई है
लगातार गिर रहा है भाजपा का वोट शेयर
1993 में भाजपा ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन एक भी उम्मीदवार नहीं जीता। 1998 में भाजपा ने 12, 2003 में 8, 2008 में 9 और 2013 में 17 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। यही नहीं भाजपा का वोट शेयर भी लगातार गिरता जा रहा है। 1993 में भाजपा का वोट शेयर 3.11 फीसदी था जो 1998 में घटकर 2.50 फीसदी रह गया। 2003 में यह और घट गया और 1.87 पर आ गया। इसके बाद लगातार भाजपा का वोट शेयर घटता चला गया। 2008 में भाजपा का वोट शेयर 0.44 फीसदी था जो 2013 में घटकर 0.37 फीसदी पर आ गया।
2003 के बाद से बढ़ रहा है कांग्रेस का वोट शेयर, सीटें भी बढ़ी
वहीं कांग्रेस 2003 के बाद से राज्य में लगातार मजबूत होती जा रही है। कांग्रेस का न केवल वोट शेयर बढ़ रहा है बल्कि सीटें भी बढ़ रही है। 1989 में कांग्रेस का वोट शेयर 34.85 फीसदी था जो 1993 में घटकर 33.10 फीसदी रह गया। 1998 में और घट गया और 29.77 फीसदी पर आ गया लेकिन 2003 में पार्टी का वोट शेयर 30.06 फीसदी हो गया। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल आया और उसका वोट शेयर बढ़कर 38.89 फीसदी हो गया। 2013 में पार्टी का वोट शेयर बढ़कर 44.63 फीसदी हो गया।
1987 में बना था पूर्ण राज्य
1972 में असम से अलग होकर मिजोरम बना था। 1986 के मिजोरम शांति समझौते के बाद मिजोरम पूर्ण राज्य बना था। समझौता केन्द्र व मिजो नेशनल फ्रंट के बीच हुआ था। मिजोरम में पहली बार विधानसभा चुनाव 1984 में हुए थे। तब विधानसभा की 30 सीटें थी। कांग्रेस ने सभी 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने 20 सीटें जीती। 1987 में विधानसभा की सीटों की संख्या बढ़कर 40 हो गई। कांग्रेस ने 40 में से 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 1989 में कांग्रेस ने 34 सीटों पर चुनाव लड़ा। 23 पर जीत दर्ज की। 1993 में 28 सीटों पर चुनाव लड़ा। 16 पर जीत दर्ज की।
1998 में 40 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन मिली सिर्फ 6 सीट। 2003 में कांग्रेस ने 40 पर चुनाव लड़ा और मिली 12। 2008 में कांग्रेस ने 40 पर चुनाव लड़ा। 32 पर जीत मिली। 2013 में कांग्रेस ने 40 पर चुनाव लड़ा और 34 सीटें जीती।
घट रहा है एमएनएफ का वोट शेयर, सीटें भी घटी
उधर एमएनएफ का वोट शेयर भी तेजी से गिरता जा रहा है। 2008 में एमएनएफ का वोट शेयर 30.65 फीसदी था जो 2013 में घटकर 28.66 फीसदी रह गया। 1989 में एमएनएफ का वोट शेयर 35.29 फीसदी था,जो 1993 में घटकर 33.10 फीसदी रह गया। 1998 में यह घटकर 29.77 फीसदी पर आ गया। 2003 में वोट शेयर 31.69 फीसदी, 2008 में 30.65 फीसदी, 2013 में 28.65 फीसदी था।
एमएनएफ ने 1989 में 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे सिर्फ 14 पर ही जीत मिली। 1993 में एमनएफ ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा, 14 पर जीत दर्ज की। 1998 में एमएनएफ ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा था उसे 21 सीटें मिली। 2003 में एमएनएफ ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 21 सीटें जीती। 2008 में एमएनएफ ने 39 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन जीती सिर्फ 3। 2013 में एमएनएफ ने 31 पर चुनाव लड़ा और 5 पर जीत दर्ज की।