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सूरजपुर में नहीं थम रहा जंगली हाथियों का उत्पात, तोड़े ग्रामिणों के मकान, फसल भी कर रहे बर्बाद

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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सूरजपुर (Surajpur) जिले के दूरस्थ पहाड़ी और वनांचल क्षेत्र चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र में जंगली हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले कई महीनों से यहां बहरादेव नामक हाथी का दल सक्रिय है. ये दल क्षेत्र में विचरण करते हुए लगातार लोगों के घरों को ढहाने के साथ-साथ उनके फसलों को क्षति पहुंचा रहा है. इससे लोगों में दहशत और भय का वातावरण बना हुआ है. लोग रतजगा करने को मजबूर हैं. साल 2023 के आखिरी दिन 31 दिसंबर को बहरादेव हाथी के नौ सदस्यीय दल ने मोहरसोप गांव में धावा बोल दिया.इस नौ हाथियों के दल ने गांव में धावा बोलकर यहां तीन ग्रामीण बुधलाल पंडो, नान्हू पंडो और छोटेलाल साहू के घर को ढहा दिया और उनके घरों में रखा अनाज चट कर गया. हाथियों द्वारा ग्रामीणों का घर ढहाये जाने से वो बेघर हो गए हैं. अब इस ठंड के मौसम में उनके पास सिर छिपाने की भी जगह नहीं है. दूसरी ओर गांव में हाथियों के आतंक की खबर मिलते ही वन विभाग का मैदानी अमला गांव पहुंचा. वन विभाग का अमला अब क्षति का आंकलन कर मुआवजा बना रहा है. चांदनी-बिहारपुर में हाथियों का उत्पातगौरतलब है कि चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र में हाथियों की समस्या लंबे समय से बनी हुई है. क्षेत्र में आए दिन हाथियों का दल विचरण करने के साथ हिरायशी क्षेत्रों में पहुंच जाता है. इतना ही हाथियों का दल ग्रामीणों के घरों को ढहा देता है और वहां रखे आनाजों का खा जाता है. इसके साथ ही ये उत्पाती हाथी किसानों के खेतों में खड़ी फसलों को भी खाकर और रौंद कर उसको नुकसान पहुंचाते हैं. इससे किसानों को आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ती है.क्षेत्र के लोगों का कहना है कि वनपरिक्षेत्र बिहारपुर में जंगली हाथियों के उत्पात से मुक्ति दिलाने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और वन विभाग का मैदानी अमला गंभीर नहीं है. वन विभाग का मैदानी अमला उन्हें हाथियों के उत्पात से मुक्ति दिलाने में नाकाम साबित हो रहा है. इस कारण उन्हें हाथियों के उत्पात से मुक्ति नहीं मिल पा रही है. बहरहाल वन विभाग का मैदानी अमला क्षति का आंकलन कर मुआवजा बनाने में लगा है. साथ ही वो ग्रामीणों को हाथियों से दूर रहने और उनसे छेड़खानी न करने को लेकर भी समझा रहा है.

हाथियों को खदेड़ने नई तकनीक का ले रहे सहारा ग्रामीण

वहीं हाथियों को रिहायशी क्षेत्र से दूर रखने और जंगल की ओर खदेड़ने के लिए ग्रामीण अब नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं. ग्रामीण अब ट्रैक्टर वाहन का सायलेंसर खोल उसके आवाज से हाथियों को भगा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हाथी अब पटाखे के शोर से भी नहीं भागते हैं, इसलिए उन्हें अब इस नई तकनीक का सहारा लेना पड़ रहा है. ये तकनीक कारगर भी साबित हो रही है. सायलेंसर की आवाज से हाथी डरते हैं और दूर जंगल की ओर भाग खड़े होते हैं.