छत्तीसगढ़ की सियासत में जोगी परिवार को इस बार विधानसभा चुनाव में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की सियासी विरासत को बचाए रखने के लिए उनकी पत्नी रेणु जोगी, बहू ऋचा जोगी और बेटे अमित जोगी चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने के लिए उतरे हैं.
कांग्रेस और बीजेपी के बीच सिमटी छत्तीसगढ़ की चुनावी जंग में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के लिए इस बार राह आसान नहीं है. ऐसे में देखना है कि जोगी परिवार किस तरह से सियासी वजूद को बचाए रख पाता है?
अजीत जोगी ने 2016 में कांग्रेस से बगावत कर अपनी अलग पार्टी ‘जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी)’ का गठन किया था, जबकि एक दौर में वो राज्य में कांग्रेस का चेहरा हुआ करते थे. कांग्रेस ने उन्हें साइडलाइन किया तो उन्होंने अपनी पार्टी का गठन कर लिया था, लेकिन 2020 में उनका निधन हो गया. अजीत जोगी के बाद अब उनकी सियासी विरासत उनके बेटे अमित जोगी और पत्नी रेणु जोगी संभाल रही हैं. इस बार के चुनाव में जोगी परिवार के तीन सदस्य चुनाव में उतरे हैं.
कौन किस सीट से लड़ रहा विधानसभा का चुनाव?
अजीत जोगी की पत्नी और मौजूदा विधायक रेणु जोगी कोटा सीट से एक बार फिर से किस्मत आजमा रही हैं, जबकि उनकी बहू ऋचा जोगी को अकलतरा सीट से टिकट दिया गया है. वहीं बेटे अमित जोगी पाटन सीट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ उतरे हैं. इस तरह से जोगी परिवार के तीन सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि 2018 में अजीत जोगी सहित चार लोग थे, जिनमें से दो ही सदस्य जीत सके थे. अजीत जोगी और उनकी पत्नी रेणु जोगी. अमित जोगी और ऋचा जोगी चुनाव नहीं जीत सके थे.
साल 2018 का विधानसभा चुनाव अजीत जोगी की पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन कर लड़ा था. इसके बावजूद अजीत जोगी चुनाव परिणाम को प्रभावित नहीं कर सके थे. जोगी की पार्टी ने पांच और उसकी सहयोगी बसपा दो सीटों पर जीतने में सफल रही थी. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) पार्टी को 7.6 फीसदी वोट शेयर मिले थे. अमित जोगी मनेन्द्रगढ़ और ऋचा जोगी अकलतरा सीट से हार गई थीं.
अमित जोगी ने किया अकेले चुनाव लड़ने का फैसला
अजीत जोगी और देवव्रत सिंह की मौत के बाद हुए उपचुनावों में दो विधानसभा क्षेत्रों मरवाही और खैरागढ़ जेसीसी (जोगी) ने गवां दिया था. वहीं पार्टी ने दो अन्य विधायकों धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा को निष्कासित कर दिया था, जिसके चलते ही अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी पार्टी की एकमात्र विधायक हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी की विरासत संभाल रहे अमित जोगी ने किसी भी दल से गठबंधन करने के बजाय अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी के बीच सिमटे चुनाव के चलते उनके सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.
रेणु जोगी तीन बार कांग्रेस के टिकट पर (2006-उपचुनाव, 2008 और 2013) और एक बार 2018 में जेसीसी (जे) के टिकट पर चुनाव लड़कर कोटा विधानसभा सीट से विधायक बनी हैं. इस बार कोटा सीट पर बीजेपी ने वरिष्ठ नेता रहे दिलीप सिंह जूदेव के बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को और कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया है.
पार्टी अध्यक्ष और अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी ने पिछला चुनाव जेसीसी (जे) के टिकट पर अकलतरा से लड़ा था, लेकिन वह हार गई थीं. एक बार फिर से पार्टी ने उन्हें उतारा है, जिनके खिलाफ बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक सौरभ सिंह पर दांव खेला है. अमित जोगी पाटन सीट से किस्मत आजमा रहे हैं, जिनका मुकाबला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से है. बीजेपी से पाटन सीट पर सांसद विजय बघेल मैदान में हैं. इस तरह से त्रिकोणीय मुकाबले में अमित जोगी घिर गए हैं. ऐसे में देखना है कि वह जोगी परिवार के सियासी वजूद कैसे बचा पाते हैं.