Ultra rare blue lobster found: ब्रिटेन में पहली बार बेहद दुर्लभ मानी जाने वाली झींगा मछली देखी गई है. ऐसा कहा जाता है कि ब्लू लॉबस्टर मिलने की संभावना बीस लाख में से एक की होती है.
इसे डेवोन में प्लायमाउथ साउंड में एक स्थानीय मछुआरे ने पकड़ा था. जिस मछुआरे ने इसे पकड़ा, उसने इसे ‘द शिप्स प्रोजेक्ट’ नाम की एक संस्था को दे दिया था. इसके बाद इस संस्था के लोगों ने ब्लू लॉबस्टर को वापस समुद्र में छोड़ दिया.
डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, ‘द शिप्स प्रोजेक्ट’ की मेंबर मैलोरी हास ने कहा कि वह उस जीव को देखकर ‘हैरान’ थीं, जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था. अमेरिकी मूल की मैलोरी ने कहा, ‘मैंने पानी के भीतर इतनी नीली झींगा मछली कभी नहीं देखा था. झींगा मछली पकड़ ली गई, यह सौभाग्य मिलने के बाद उसे समुद्र में वापस छोड़ दिया गया.
ब्लू लॉबस्टर को वापस पानी में छोड़ा
मैलोरी हास ने बताया कि, ‘जिस मछुआरे ने उसे हमें दिया था, उसने कहा कि उसने इसे छोड़ने का फैसला किया है, क्योंकि यह दुर्लभ है, और चाहता है कि हम इसे पानी में वापस छोड़ दें. वह झींगा मछली बहुत ही प्यारी थी.’ ऐसा माना जाता है कि झींगा मछली लगभग 50 साल पुरानी है और वैज्ञानिक इस बात से चकित हैं कि वास्तव में वे नीली क्यों होती हैं. अधिकांश झींगा मछलियां गहरे लाल नारंगी रंग की होती हैं. एक्सपर्ट्स इस नीली झींगा मछली मिलने से हैरान थे.
आखिर क्यों होता है इनका नीला रंग?
मैलोरी ने कहा, ‘मुझे यकीन नहीं है कि नीला रंग किस कारण से होता है, लेकिन मुझे लगता है कि यह संभावित रूप से पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकता है. नीला रंग बी प्रोटीन से आता है, जिसे आनुवंशिक दोष के कारण लॉबस्टर के शरीर में छोड़ा जा सकता है, जो पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकता है, इसलिए यह अधिक संभावना है कि अगर उसके बच्चे होंगे तो वे नीले होंगे, लेकिन हो सकता है कि वे नीले न हों.’
उन्होंने आगे कहा कि, ‘हमने इस साल बहुत सारी झींगा मछलियां देखी हैं, वे सभी साउंड में समुद्र तल की दरारों और छिद्रों में छिपना पसंद करती हैं.’ यूनिवर्सिटी ऑफ मेन के लॉबस्टर इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने नीले लॉबस्टर की दुर्लभता पर विवाद किया है, लेकिन उनका कहना है कि पीले लॉबस्टर को ढूंढना और भी दुर्लभ है, लगभग 30 मिलियन में से एक, जबकि अल्बिनो लॉबस्टर अति-दुर्लभ हैं, लगभग एक सौ मिलियन में से एक के अंतर पर.