रायपुर। प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र से बाघ लाने सहमति बनी थी। राज्य में बाघों की संख्या बढ़ाने वन विभाग ने ग्लोबल टाइगर फोरम से अनुबंध किया है।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ सुधीर अग्रवाल के मुताबिक एनटीसीए तथा केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय ने मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र से बाघ लाकर अचानकमार टाइगर रिजर्व में इंट्रोड्यूज करने की अनुमति दे दी है।
वन अफसर के मुताबिक, राज्य के वनों में बाघों की संख्या बढ़ाने कार्ययोजना बनाकर लगातार फील्ड अफसर काम कर रहे हैं। राज्य के तीनों टाइगर रिजर्व के साथ गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान तथा आठ अन्य अभयारण्य में ग्रासलैंड, जलस्रोत विकसित करने के साथ बाघों की सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं। इससे अंतर्राज्यीय कॉरिडोर से भी बाघ के आने पर उसे प्रे बेस और अनुकूल रहवास मिल सकेगा।
एटीआर में 80 किमी. के एरिया में छोडेंगे बाघ
वन अफसर के मुताबिक ग्लोबल टाइगर फोरम के फील्ड निरीक्षण के बाद उनकी सलाह पर अचानकमार टाइगर रिजर्व के सांभर धसान कोर एरिया में 78.78 वर्ग किमी. में पहले दो मादा बाघ को छोड़ा जाएगा। इसके बाद एक नर बाघ छोड़े जाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
एटीआर, इंद्रावती, नेशनल पार्क में इतने बाघ होने का दावा
वन अफसर ने अचानकमार टाइगर रिजर्व में आठ, गुरु घासीदास नेशनल पार्क में दो तथा इंद्रावती टाइगर रिजर्व में छह बाघों की उपस्थिति दर्ज होने का दावा किया है। सूरजपुर से रेस्क्यू घायल मादा बाघ को उपचार के बाद अचानकमार में छोड़े जाने की घटना को राज्य में किसी रेस्क्यू बाघ को पहली बार सफलतापूर्वक उपचार कर जंगल में उसके प्राकृतिक रहवास क्षेत्र में छोड़े जाने की बात कही है।
विस्थापन तय सीमा से तीन साल लेट
अचानकमार टाइगर रिजर्व की जद में आने वाले 25 गांवों का विस्थापन किया जाना है। वन अफसर चिन्हांकित गांवों का अब तक विस्थापन नहीं करा पाए हैं। टाइगर रिजर्व के कोर तथा बफर जोन में आने वाले महज छह गांवों को अब तक दूसरी जगह शिफ्ट करा पाए है। वन अफसर के मुताबिक तीन और गांवों की स्वीकृति अंतिम चरण पर है, जबकि शेष गांवों के विस्थापन के लिए ग्रामसभा के माध्यम से सहमति लेने प्रयास करने की बात वन अफसर बता रहे हैं। गौरतलब है कि अचानकमार टाइगर रिजर्व में आने वाले 25 गांवों का विस्थापन वर्ष 2020 तक किया जाना था।