हरेली त्योहार
हरेली त्योहार
Hareli festival 2023: प्रदेश में सावन मास के कृष्णपक्ष अमावस्या को मनाया जाने वाला हरेली त्योहार सोमवार को मनाया जा रहा है।
प्रचलित मान्यता के अनुसार, इस दिन किसान अच्छी फसल की कामना करते हुए कुल देवता की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके साथ ही कृषि औजार हल, गैती, फावड़ा, कुदाली की साफ सफाई करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इसके अलावा बैल, गाय और भैंस को बीमारियों से बचाने के लिए बरमूडा और जड़ी-बुटियां खिलाने की परंपरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन कई तरह के खेलों का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें घोड़ी चढ़कर घूमना व दौड़ प्रतियोगिता, नारियल फेक, प्रमुख है। इस दिन किसानों के घरों में गुड़ से निर्मित चिला, गुलगुला जैसे पकवान बनाया जाता है।
हरेली अमावस्या अथवा हरेली त्योहार मनाने का कारण
ग्राम रिसदा के किसान तुलसी वर्मा ने बताया कि हरेली त्योहार पहले खेती किसानी का कार्य (बुवाई, रोपाई, बियासी) पूर्ण हो जाने पर मनाया जाया करता था। इसी वजह से किसान कृषि संबंधित औजार की साफ सफाई कर उसकी पूजा करने के उपरांत उसे सुरक्षित स्थान पर रख दिया करते थे। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण अब हरेली त्यौहार तक कृषि कार्य पूरा नहीं हो पाता है। इसके बावजूद किसान परंपरा का पालन करते हुए उत्साह पूर्वक आज भी यह त्योहार मना रहे हैं। वहीं खरतोरा निवासी विश्राम साहू ने बताया कि किसान खेती का कार्य पूर्ण हो जाने के बाद खेतों में लहलहाती हरी भरी फसलों को देखकर प्रसन्न हो जाते हैं और कृषि औजारों की साफ सफाई कर उनकी पूजा अर्चना की जाती है। प्रचलित मान्यता के अनुसार, अपनी गाय बैलों को बीमारी और फसलों को बुरी नजर से बचाने के लिए विशेष पूजा पाठ किया जाता है।
गोबर का घोल बनाकर खीची जाती है लाईन
किसानों का कहना है कि हरेली त्योहार पर गोबर का घोल तैयार किया जाता है। इसके बाद घर के बाहर चारों ओर लाईन खीची जाती है। घर के प्रवेश द्वार पर पुतले भी बनाकर लगाए जाते हैं।
हरेली त्योहार पर गाय बैलों की पूजा
बलौदाबाजार निवासी संतोष यादव ने बताया कि हरेली त्योहार के दिन गाय बैल जैसे पालतू पशुओं को चरवाहे गौठान में खड़ा कर देते हैं। इसके बाद किसान थाल में चावल, दाल, आलू, आदि खाद्य सामग्री लेकर गौठान पहुंचकर चरवाहों को देते है। जिसके बदले चरवाहा जंगलों से लाई गई जड़ी बूटी किसानों को देते है। जिसे लेकर किसान अपने घर लौटते है। इस जड़ी बूटी को पशुओं को खिलाया जाता है। इससे वह बीमारियों से बचे रहते हैं।