रायपुर। सावन का पवित्र महीना प्रारंभ हो चुका है। आज सावन का पहला सोमवार है। यदि आप घर बैठे ही भगवान शिव के दर्शन करना चाहते हैं तो यहां जानें छत्तीसगढ़ में स्थापित भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमाओं के बारे में खास जानकारी।
यूं तो देशभर में ऊंची-ऊंची अनेक शिव प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र हैं, लेकिन राजधानी में तीन शिव प्रतिमाएं ऐसी हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। इनमें खास प्रतिमा शहर के सबसे पुराने पार्क मोती बाग के समीप नलघर चौक पर चार साल पहले सड़क किनारे स्थापित की गई है। यहां पहले एक छोटा सा शिव मंदिर था। जहां कुछ ही श्रद्धालु दर्शन करने आते थे।
सड़क का चौड़ीकरण करने के दौरान मंदिर को हटाकर किनारे में स्थानांतरित करने जगह दी गई। स्थानांतरित करने से पूर्व कुछ श्रद्धालुओं ने मिलकर छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया।2018 में शिव प्रतिमा बनाने का काम शुरू हुआ और कोरोना काल में 2021 में प्रतिमा बनकर तैयार हुई।
देखते ही देखते शिव प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बन गई और प्रसिद्धि फैलने लगी। अब प्रदेशभर में विशाल शिव प्रतिमा की चर्चा होने लगी है, दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आने लगे हैं।इसी तरह शहर की दो अन्य प्रसिद्ध विशाल प्रतिमाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं, नईदुनिया के संवाददाता श्रवण शर्मा।
मोतीबाग में बैजनाथधाम
मोतीबाग के नाम से प्रसिद्ध बगीचे के सामने सुभाष स्टेडियम के बगल में नलघर चौक पर छोटे से शिव मंदिर में श्रद्धालु जल अर्पित करते थे। जब शहर का विकास होने लगा और सड़क का चौड़ीकरण और सुभाष स्टेडियम को नए स्वरूप में बनाने की योजना बनी तब शिव मंदिर को चौक से हटाना जरूरी हो गया। कुछ श्रद्धालुओं ने शिव मंदिर को हटाने का विरोध किया। ऐसे में प्रशासन और श्रद्धालुओं के बीच मंदिर को सड़क के किनारे पानी टंकी परिसर में खाली पड़ी जमीन पर स्थानांतरित करने पर सहमति बनीं।
श्रद्धालुओं ने आपसी सहयोग से मंदिर बनाना प्रारंभ किया। समाजसेवी श्याम चावला ने सबसे ऊंची प्रतिमा बनवाने की जिम्मेदारी ली। प्रदेश से अनेक श्रद्धालु झारखंड के बैजनाथधाम की यात्रा पर जाते हैं, इसलिए श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए शिव प्रतिमा और प्रतिमा का नाम बैजनाथधाम के नाम पर रखा गया।वर्तमान में बाबा बैजनाथधाम समिति गठित करके मंदिर का संचालन किया जा रहा है।
वाटर प्रूफ शिव प्रतिमा
ग्राम सिंघौला राजनांदगांव के कलाकार रामकृष्ण साहू के मार्गदर्शन में 51 फीट ऊंची प्रतिमा को लोहे की छड़ से मजबूती दी गई है। जमीन से भीतर 12 फुट का स्तंभ बनाया गया है। इसमें 200 बोरी सीमेंट, दो टन लोहे की छड़, पत्थराें से प्रतिमा बनाई गई है। मंदिर प्रबंधन का दावा है कि आंधी, बारिश, तूफान में भी प्रतिमा को नुकसान नहीं होगा।
20 फीट ऊंची बंजारेश्वर प्रतिमा
एक और प्रतिमा शहर से पांच किलोमीटर दूर रावांभाठा में स्थित देवी मां के प्रसिद्ध बंजारी मंदिर प्रांगण में स्थापित है। इसकी ऊंचाई 20 फीट है। बंजारी मंदिर के नाम पर इस प्रतिमा की प्रसिद्धि बंजारेश्वर महादेव के रूप में हो चुकी है। रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर स्थित बंजारी मंदिर की यह प्रतिमा काफी दूर से नजर आती है। विशाल प्रतिमा को देखकर श्रद्धालु मंदिर अवश्य आते हैं। इस प्रतिमा के ठीक नीचे स्वर्ग-नरक की झांकी आकर्षण का केंद्र है। इसमें दर्शाया गया है कि अच्छे कर्म करने वालों को स्वर्ग में सुख मिलता है और बुरे कर्म करने वालों को नरक की घोर यातना भुगतनी पड़ती है। यह प्रतिमा भी वाटर प्रूफ है। लगभग 30 साल पहले प्रतिमा का निर्माण किया गया।
मठपारा में 15 फीट ऊंचे नीलकंठेश्वर महादेव प्रतिमा
ऐतिहासिक दूधाधारी मठ और नया बस स्टैंड के समीप स्थित शिव मंदिर में लगभग 15 फीट ऊंची महादेव की प्रतिमा भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। मात्र 30 साल पहले पूरा इलाका सुनसान हुआ करता था। मठपारा के युवा साल में एक बार गणेश पर्व पर प्रतिमा विराजित करते थे। युवाओं ने 15 फीट ऊंची शिव प्रतिमा का निर्माण कराया ताकि लोग यहां दर्शन करने आएं। गणेश प्रतिमा बनाने वाले कलाकार कृष्णा मूर्ति ने सीमेंट, रेत, लोहे की छड़ से महादेव की प्रतिमा बनाई।
धार्मिक और पर्यटन केंद्र बना
मठपारा इलाके में लोग रात को निकलने से डरते थे, अब उस इलाके में हमेशा भक्तिभाव छाया रहता है। सावन महीने में प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक करने हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं। मंदिर परिसर के आसपास के इलाके को पिकनिक स्थल की तरह बना दिया गया है। यहां माता-पिता अपने बच्चाें को पिकनिक मनाने के लिए लेकर आते हैं। दर्शन करने के बाद पिकनिक का भी आनंद उठाते हैं।