गर्मी के मौसम में जब गला सूखे तो पास की दुकान, खोखा या गुमटी ही नजर आती है, झट से पानी की बोतल उठाकर सबसे पहले गला तर करते हैं और फिर आगे चल देते हैं, क्या पानी की बोतल लेने से पहले कभी सोचते हैं कि जो बोतल आप ले रहे हैं वो पर्यावरण पर कितना असर डालेगी?
नेशनल जियोग्राफी की एक रिपोर्ट आईना दिखाने वाली है, इस रिपोर्ट के मुताबिक प्लास्टिक दुनिया के सबसे बड़े खतरों में से एक है. नेशनल जियोग्राफी की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में हर मिनट में 10 लाख बोतलों की बिक्री होती है, इनमें पानी, कोल्डड्रिंक, जूस या अन्य दूसरे ड्रिंक शामिल होते हैंरिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि 1950 में विश्व में प्लास्टिक का इस्तेमाल 21 लाख टन होता था. 2015 में यह आंकड़ा 40 करोड़ टन के पार पहुंच गया था. वर्तमान में यह तकरीबन 50 करोड़ टन है.
खास बात ये है कि इन बोतलों में से जितनी प्लास्टिक निकल रही है उसमें से सिर्फ 40 फीसदी प्लास्टिक ऐसी है जो दोबारा यूज में आ रही है, इसीलिए दुनिया भर में प्लास्टिक कचरा लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसा नहीं कि दुनिया भर के देश इससे अंजान है, इस वैश्विक समस्या के निदान के उपाय खोजे जा रहे हैं, फ्रांस की राजधानी पेरिस में इसी माह की शुरुआत में आयोजित यूएन इंवायरमेंट प्रोग्राम यानी (UNEP) की ओर से प्लास्टिक ट्रिटी पर बैठक हुई थी, लेकिन इसमें 55 देशों के बीच कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका!