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Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र पर भड़का विपक्ष, पीएम मोदी से हस्तक्षेप की मांग

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मणिपुर में हिंसा की आग अभी ठंडी नहीं हुई है. पिछले डेढ़ महीने से राज्य हिंसा की चपेट में है. केंद्र और राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. कई जिलों में अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है.

अब कांग्रेस के नेतृत्व वाली मणिपुर की दस विपक्षी पार्टियों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील करते हुए उनके साथ बैठक की मांग की है.

शनिवार को हिंसा को लेकर दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मणिपुर के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक की मांग की है. उन्होंने कहा कि उन्हें पीएम मोदी के 20 जून को अमेरिका के लिए रवाना होने से पहले हिंसा पर उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार है. इबोबी सिंह ने कहा, उनकी मंशा राजनीतिक लाभ लेने की नहीं है. हम केवल शांति चाहते हैं. कृपया हमारी मदद करें.

कांग्रेस नेता ने कहा कि तीन मई से राज्य में हिंसा जारी है और पीएम मोदी की ओर से इस पूरे मामले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं आई है. उन्होंने कहा, हिंसा की वजह से हर जगह हो हल्ला मच रहा है, महिलाओं और बच्चों सहित 20 हजार लोग शिविरों में शरण लिए हुए हैं. फिर भी पीएम राज्य के बारे में कुछ भी नहीं कह रहे हैं. क्या मणिपुर भारत का हिस्सा है या नहीं? यदि है तो क्यों?

जयराम रमेश बोले- पीएम को ईमेल भेजा था

वहीं, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि 10 विपक्षी दलों के नेताओं ने 10 जून को प्रधानमंत्री के साथ बैठक के लिए एक ईमेल भेजा था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. पीएम से बैठक को लेकर पत्र 12 जून को पीएमओ को सौंप दिया गया है. उन्होंने आगे कहा, 22 साल पहले जब मणिपुर में हिंसा भड़की थी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने दो बार सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. वाजपेयी ने भी तब शांति की अपील की थी.

जदयू के पांच बार के विधायक निमाई चंद लुवांग, जो उस समय वाजपेयी से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद भा राज्य में हिंसा में जारी है. इसका मतलब है कि मौजूदा सरकार हिंसा से निपटने में बुरी तरह से विफल रही है. हम चाहते हैं कि पीएम मोदी इसमें हस्तक्षेप करें और हिंसा को रोकने का कोई समाधान निकाले.