भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक़ बिपरजोय तूफ़ान उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसकी भविष्यवाणी की गई थी और यह 15 जून की शाम तक 120-130 से 145 किमी प्रति घंटे की गति से गुजरात के मांडवी, जाखू तट और पाकिस्तान के कराची में समुद्री तट से टकरा सकता है.
हालांकि, थोड़ी राहत की बात यह है कि यह अत्यधिक गंभीर चक्रवाती तूफ़ान से बहुत गंभीर चक्रवाती तूफ़ान में तब्दील हो गया है. यानी पहले जितनी आशंका जताई जा रही थी, उसकी तुलना में यह तूफ़ान कमतर हो गया है.
गुजरात में 40 से ज्यादा छोटे-बड़े बंदरगाह रोज़ाना अरबों रुपए के माल का आयात-निर्यात करते हैं. समुद्री तूफ़ानों की बढ़ती संख्या से ना केवल इस कारोबार को बल्कि समुद्री तट पर रहने वाले लोगों की आजीविका और जीवन को भी ख़तरा पहुँचता है.
बिपरजोय 2023 का गुजरात का पहला और ‘मोका’ के बाद देश का दूसरा चक्रवात है. उल्लेखनीय है कि 2019 में अरब सागर में ‘महा’, ‘वायु’, ‘हिक्का’, ‘क्यार’ जैसे तूफ़ान आए थे.
इतने ज़्यादा समुद्री तूफ़ान क्यों?
समुद्री तूफ़ान के बनने का सीधा संबंध समुद्र की सतह के तापमान से है. इन बढ़ते तापमान के लिए जलवायु परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है.
भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, यमन और ओमान जैसे देशों में भी पहले से ज्यादा शक्तिशाली समुद्री तूफ़ान देखने को मिल रहे हैं.
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे में समुद्र के बढ़ते तापमान का अध्ययन कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक का मानना… “जलवायु परिवर्तन ने पिछले एक दशक में अरब सागर की सतह के तापमान में 1.2 डिग्री से 1.4 डिग्री की वृद्धि की है. यह चक्रवात उत्पन्न करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है.”