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नक्सल संगठन से लड़ाकों का मोहभंग, प्रतिवर्ष 400 सरेंडर; काम आ रही ये योजना…

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देश में प्रतिवर्ष 400 नक्सली आत्मसमर्पण करते हैं। सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर प्रतिवर्ष 400 माओवादी कैडर पुलिस एवं सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण करते हैं।

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज ने बताया कि सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को वित्तीय सहायता सहित अन्य प्रकार की सुविधाएं दी जाती हैं ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज ने बताया कि अति नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में लोन वर्रातु नाम का विशेष अभियान चलाया गया है। इसके परिणाम काफी सकारात्मक रहे हैं। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के कई जिले नक्सलवाद से प्रभावित हैं।

छत्तीसगढ़ से बाहर के हैं नक्सली नेता
आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि भाकपा माओवादी संगठनों के अधिकांश नेता आमतौर पर छत्तीसगढ़ के बाहर के राज्यों जैसे की तेलांगना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में रहते हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद है लेकिन इनके नेता आमतौर पर महाराष्ट्र, तेलांगना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से आते हैं। उन्होंने बताया कि अतीत में भाकपा माओवादी संगठन के इन नेताओं ने स्थानीय आदिवासी जिनमें महिला और पुरुष समान रूप से शामिल हैं, उन्हें जल, जंगल और जमीन के नाम पर संगठन में शामिल होने और हथियार उठाने को मजबूर किया। आईजी ने बताया कि भाकपा माओवादी संगठन में शामिल होने के बाद युवाओं ने इसका असली चेहरा देखा। पिछले 22 वर्षों में नक्सलियों ने 1700 लोगों को पुलिस का मुखबिर बताकर मार डाला। आईजी का दावा है कि जब युवाओं ने माओवादियों का विकास विरोधी चेहरा देखा तो संगठन से मोहभंग हुआ। सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उनमें से कई युवाओं ने आखिरकार पुलिस के समक्ष सरेंडर किया और मुख्यधारा में जुड़े। यह सराहनीय है।

और युवा नक्सली भी करेंगे आत्मसमर्पण
पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज ने बताया कि जो युवा अभी भी भाकपा माओवादी संगठन में हैं, मुझे उम्मीद है कि जल्द ही उनका हकीकत से सामना होगा। वे माओवादियों का असली चेहरा समझेंगे और हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर शांति, सुरक्षा और क्षेत्र के विकास में योगदान देंगे। उन्होंने बताया कि एक महिला नक्सली ने आत्मसमर्पण किया और बाद में छत्तीसगढ़ पुलिस बल में शामिल हो गई। अब वह नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों का नेतृत्व करती है। आत्मसमर्पण करने वाले एक पूर्व नक्सली ने बताया कि अधिकांश लोग मजबूरी की वजह से नक्सल संगठन में शामिल हुए। संगठन के बुनियादी फैसले अक्सर आंध प्रदेश के नेता करते हैं। वे नहीं चाहते कि छत्तीसगढ़ और बस्तर का विकास हो। वर्ष 2012 में मैंने संगठन में ही विवाह किया। एक मुठभेड़ के दौरान जब मैं घायल हुआ तो मैंने आत्मसमर्पण कर दिया। सुरक्षाबलों की कार्रवाई तेज थी। लगता था कि जीवनभर भागना पड़ेगा। मैंने यह सोचकर आत्मसमर्पण किया कि मुझे कोई नौकरी मिल जाएगी। यदि नहीं मिली तो दिहाड़ी मजदूरी कर लेंगे।

बालाघाट में 2 महिला नक्सलियों का एनकाउंटर
गौरतलब है कि इसी वर्ष 22 अप्रैल को मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में एक एनकाउंटर के दौरान स्टेट हॉक फोर्स और पुलिस की संयुक्त टीम ने 14-14 लाख रुपये की 2 इनामी महिला नक्सलियों को मार गिराया था। गौरतलब है कि तेलांगना, आंधप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और झारखंड के कई जिले अब भी नक्सल प्रभावित हैं। झारखंड में भी लातेहार, लोहरदगा, गढ़वा, चतरा, चाईबासा और कोल्हान प्रमंडल के अन्य जिले नक्सल प्रभावित हैं। अभी पिछले वर्ष ही सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़ को नक्सल मुक्त किया है।