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Opinion: सबका साथ-सबका विकास के अपने संकल्प पर कायम हैं पीएम नरेंद्र मोदी!

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पहले सबका साथ-सबका विकास का नारा दिया, फिर उसमें सबका विश्वास जोड़ा और उसके बाद एक कदम और आगे बढ़ते हुए सबका प्रयास. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के लिए ये सिर्फ एक नारा नहीं बल्कि शासन चलाने और जनकल्याण के लिए मूल मंत्र है.

प्रधानमंत्री मोदी के इस नारे में हिंदुस्तान का पूरा संविधान और उसका तत्व समाहित है. प्रधानमंत्री मोदी मानते हैं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक और बंगाल की खाड़ी से सर क्रीक तक अगर सबको साथ लेकर चलना है, सबका समान विकास करना है तो सबको साथ ले कर चलना ही होगा. पीएम मोदी कई बार ये कह चुके हैं कि जनप्रतिनिधियों और जनता का नाता सिर्फ चुनाव तक नहीं रहना चाहिए.

प्रधानमंत्री मोदी ऐसा सिर्फ मानते ही नहीं बल्कि अपनी नीतियों के जरिए इस सिद्धांत को धरातल पर उतारते भी हैं. अभी हाल ही में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पीएम मोदी ने पार्टी के नेताओं से अल्पसंख्यक आबादी तक अपनी पहुंच बढ़ाने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता पसमांदा, बोहरा, मुस्लिम युवाओं और शिक्षित मुसलमानों तक बिना वोट की उम्मीद किए अपनी पहुंच बढ़ाएं और उनका विश्वास हासिल करने की कोशिश करें. इसके अलावा वंचित, पिछड़े और दलित मुसलमानों की तरफ भी ज्यादा से ज्यादा ध्यान दें. प्रधानमंत्री मोदी के इसी सुझाव पर अमल करते हुए पार्टी के रणनीतिकारों ने मुसलमानों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए स्नेह मिलन अभियान की योजना तैयार की है, जो आने वाले हफ्तों में देश के अलग-अलग हिस्सों में शुरू की जाएगी. पार्टी का खास ध्यान उत्तर प्रदेश और वहां भी खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उन इलाकों पर है जहां अल्पसंख्यक आबादी निर्णायक भूमिका में हैं.

एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश की आबादी अभी करीब 25 करोड़ है. इनमें करीब 79.73 प्रतिशत हिंदू और 19.26 फीसदी मुस्लिम आबादी है. जबकि 1 फीसदी के करीब अन्य समुदाय के लोग रहते हैं. मोटे तौर पर बात करें तो हिंदू और मुस्लिम आबादी का बंटवारा 80-20 का बैठता है. लेकिन अगर इसी को इलाकावार तरीके से देखें तो बिजनौर, अमरोहा, कैराना, नगीना, संभल, मुजफ्फरनगर और रामपुर कुछ ऐसी लोकसभा सीटें प्रमुख हैं जहां मुस्लिम आबादी 30 प्रतिशत से ज्यादा है और ये वो आबादी है जो चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है. ऐसे में 2024 के चुनावों को देखते हुए ये इलाके और भी अहम हो जाते हैं.

2024 के लिए टारगेट 80

पहले गुजरात और फिर पूर्वोत्तर के तीन में राज्यों के नतीजों से गदगद बीजेपी एक बार फिर केंद्र में धमाकेदार वापसी के लिए अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गई है, खासकर उत्तर प्रदेश में. देश की राजनीति में ये स्थापित सच है कि केंद्र में सरकार बनाने के लिए किसी भी सियासी पार्टी को उत्तर प्रदेश में अपनी बढ़त बनानी होगी. बीजेपी भी इस बात को अच्छी तरह जानती और समझती है, 2014 और 2019 के नतीजे इस बात के सबूत भी हैं, तब बीजेपी को सहयोगी दलों के साथ 2014 के चुनावों में 80 में से 75 और 2019 में 65 सीटें मिली थीं. हालांकि, पिछले साल हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 2 सीटें समाजवादी पार्टी से झटक लीं. 2024 के लिए बीजेपी यूपी में मिशन 80 का टारगेट लेकर आगे बढ़ रही है. बीजेपी ने उन सीटों पर या कहिए उन इलाकों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जहां उसे पिछले चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था या जीत बेहद कम अंतर से मिली थी. इनमें ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं, जहां अल्पसंख्यक वोटर्स की संख्या अच्छी-खासी है.

‘एक देश एक डीएनए’

यूपी के साथ-साथ देश भर के ऐसे ही अल्पसंख्यक वोटर्स को जोड़ने के लिए बीजेपी ने ‘एक देश एक डीएनए’ का फॉर्मूला अपनाया है. इसके लिए मुस्लिम संपर्क अभियान ‘स्नेह मिलन कार्यक्रम’ शुरू करने वाली है. पार्टी ने पहले चरण के लिए अलग-अलग राज्यों के 64 ज़िलों को चुना है. पश्चिमी यूपी में इसकी शुरुआत मुजफ्फरनगर से होगी. अभियान के तहत एक देश एक डीएनए, स्नेह मिलन और सूफी नाइट्स जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं ताकि अल्पसंख्यकों को पार्टी के साथ जोड़ा जा सके. उत्तर प्रदेश बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली कहते हैं- “पश्चिमी यूपी में मुस्लिम जाट, मुस्लिम राजपूत, मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम त्यागी बिरादरी के वोटर्स की अच्छी-खासी आबादी है. हर लोकसभा सीट पर ये संख्या औसतन 2.5 लाख से 3 लाख के बीच आती है. इन वोटर्स को अपने साथ जोड़ने की कोशिश होगी.” बीजेपी को इन समुदायों का समर्थन चाहिए लेकिन मुख्य रूप से कृषि व्यवसाय से जुड़े इन लोगों में पार्टी की पकड़ बहुत अच्छी नहीं है.

बासित अली आगे कहते हैं- “जाट, राजपूत, गुर्जर औऱ त्यागी बिरादरी के हिंदू और मुस्लिम पश्चिमी यूपी में एक साथ रहते हैं. इन कार्यक्रमों के जरिए उन्हें ये समझाने की कोशिश की जाएगी कि हम एक देश के लोग हैं, हमारा डीएनए एक है. हमें मिलकर देश को आगे ले जाना है.” इसके लिए बीजेपी इन समुदायों के हिंदू नेताओं के साथ प्रमुख मुस्लिम नेताओं को मंच पर उतारेगी. जानकारी के मुताबिक कार्यक्रम में कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ पार्टी के बड़े केंद्रीय नेता और प्रदेश के नेता भी शामिल होंगे. देश भर में इन कार्यक्रमों के समापन के बाद दिल्ली में एक बड़ी रैली करने की भी बीजेपी की योजना है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी संबोधित कर सकते हैं.

आगामी लोकसभा चुनावों के ऐलान में करीब-करीब 365 दिन का वक्त बचा है. संभावना है कि 2024 में मार्च के पहले या दूसरे हफ्ते में लोकसभा की 543 सीटों के लिए चुनाव की तारीखों का हो सकता है, क्योंकि 2019 और 2014 में भी चुनाव आयोग ने मार्च के शुरुआती हफ्ते में ही तारीखों का ऐलान किया था. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों को धार देने में जुट गई हैं. बीजेपी नेताओं को विश्वास है कि इस योजना से पार्टी का जनाधार और बढ़ेगा.