प्रदेश में कोरबा, रायगढ़ और जांजगीर-चांपा जिले में राख एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके निपटान के लिए कंपनियां करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वहीं तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश की सरकारी पावर कंपनियां एनएलसीआईएल और एनटीपीएल राखड़ बेचकर मुनाफा कमा रही है। प्रदेश में कोरबा, रायगढ़ और जांजगीर-चांपा जिले में राख एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके निपटान के लिए कंपनियां करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वहीं तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश की सरकारी पावर कंपनियां एनएलसीआईएल और एनटीपीएल राखड़ बेचकर मुनाफा कमा रही है। 2015-16 से लेकर अब तक कंपनी के खाते में पांच सौ करोड़ जमा हो चुके हैं। राखड़ के सौ फीसदी निपटान को लेकर बिजली कंपनियां लगातार पिछड़ती जा रही है। ऐशडेम पूरी तरह राख से पट चुके हैं। जितना राख प्रतिदिन खपत किया जा रहा है उसका 10 गुना राख डेम में जमा हो रहा है।
स्थिति तो यह है कि अब प्लांटों के ऐश साइलो से ही राखड़ का उठाव शुरू करने की तैयारी शुरु कर दी है। कोरबा शहर और आसपास के इलाकों में राखड़ कहीं भी पाटे जा रहे हैं। गाइडलाइन का पालन किए बिना राखड़ ट्रांसपोर्ट किए जा रहे हैं और रहवासी इलाके में पाटे जा रहे हैं। बिजली कंपनियां राखड़ पाटने के लिए हर महीने 15 से 20 करोड़ खर्च कर रही हैं।
पहले साल 30 करोड़ और अब सौ करोड़ की आय कर रही तमिलनाडु सरकार
तमिलनाडु सरकार ने राखड़ के लिए 2015-16 में सीमेंट कंपनियों से करार किया था। पहले ही साल सरकार को करीब 30 करोड़ की आय थी। इसके बाद हर साल मुनाफा बढ़ता चला गया। बीते दो वर्ष में क्रमश: 86 करोड़ और 99 करोड़ से अधिक की आय सिर्फ राख बेचकर की जा चुकी है।
सीमेंट कंपनियां 100 किमी दूर का बहाना
राखड़ के सबसे बड़े ग्राहक सीमेंट कंपनियां होती हैं, कोरबा, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ से राखड़ लेने को लेकर सीमेंट कंपनियां यही तर्क देती है कि दूरी सौ किमी से अधिक होने की वजह से उनको घाटा होगा। पावर कंपनियां भी अपने खर्च में राखड़ भेजने को तैयार नहीं है।
वैगन से एनटीपीसी यूपी, एमपी और पंजाब कर रहा सप्लाई
सीमेंट फैक्ट्रियां एनटीपीसी से निकलने वाली इस राख की बड़ी खरीदार बन गई हैं। हाल ही में असम के नवांगाव में डालमिया सीमेंट लिमिटेड के प्लांट में मालगाड़ी के 59 वैगन भरकर 3,834 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश भेजी गई थी. इससे पहले, फ्लाई ऐश से भरी रेल रेक को टिकरिया (उत्तरप्रदेश), कोमोर (मध्यप्रदेश) और रोपड़ (पंजाब) में एसीसी सीमेंट प्लांट के लिए भी भेजा गया
नई सीमेंट फैक्ट्री बिजलीघरों के पास जरूरी
छत्तीसगढ़ में जितनी भी सीमेंट फैक्ट्रियां लगी सभी बिजलीघरों से दूर है। तमिलनाडु में जिन जिलों में बिजलीघर हैं, उन्हीं जिलों के आसपास सीमेंट फैक्ट्री की अनुमति दी गई है। छत्तीसगढ़ में सीमेंट फैक्ट्रियां सबसे अधिक रायपुर संभाग में है, जबकि बिजलीघर बिलासपुर संभाग के जिलों में है।
तमिलनाडु की पावर कंपनियों के ऐश बिक्री पर एक नजर
वर्ष आय (करोड़ में)
2015-16 29.43
2016-17 43.09
2017-18 43.67
2018-19 45.09
2019-20 46.88
2020-21 86.22
2021-22 95.60
(एनएलसीआईएल और एनटीपीएल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार)
कंपनी कुल खपत फीसदी सीमेंट फैक्ट्री में खपत
बालको सीपीपी 121.40 0.0303 एमटी
बालको टीपीपी 132.11 0.0573 एमटी
मड़वा संयंत्र 68.58 0.0187 एमटी
डीएसपीएम 21 00000
एचटीपीपी 41 00000
जिंदल पावर 84.71 0.1892
लेको अमरकंटक 74.95 0.3609 एमटी
एनटीपीसी कोरबा 57.03 0.0008 एमटी
एनटीपीसी सीपत 59.26 0.0686 एमटी