छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले छात्रों को बड़ी राहत दी गई है। अब वे अपनी पसंद का विषय चुनकर पीएचडी कर सकेंगे। दावा किया जा रहा है कि इस तरह का सिस्टम पहली बार बनाया गया है। यानी अब छात्रों को पीएचडी करने के लिए संबंधित ब्रांच या विषय को चुनने की मजबूरी नहीं होगी। उदाहरण के तौर पर सिविल में एमटेक करने वाले छात्र कंप्यूटर साइंस में भी पीएचडी कर सकेंगे। पहले इस तरह की अनुमति नहीं होती थी।
तकनीकी विश्वविद्यालय (सीएसवीटीयू) ने रिलेवेंट ब्रांच सिस्टम का नियम हटा दिया है। विवि की कार्यपरिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया है। इसके साथ ही पीएचडी को लेकर विवि ने एक और फैसला किया है कि आरडीसी में फेल हुए शोधार्थियों को दोबारा आरडीसी में शामिल किया जाएगा। पहले आरडीसी में फेल होने पर दोबारा शामिल होने के लिए विवि प्रशासन से विशेष मंजूरी लेनी पड़ती थी। इसमें कुलपति व कार्यपरिषद मांग जायज होने पर ही अनुमति देते थे। लेकिन अब नियमों में बदलाव के बाद शोधार्थी 15 हजार का भुगतान कर दोबारा आरडीसी में शामिल हो सकेंगे।
संबध्दता के नियमों भी होगा बदलाव
विवि के अफसरों ने बताया कि कार्यपरिषद की सहमति से सीएसवीटी यू संबद्धता परिनियम में बदलाव किया जा रहा है। अब इसमें दो नए कॉलम जोड़े जाएंगे। जहां कॉलेजों को एंडोमेंट और स्पोर्ट्स फंड जैसे मदों की राशि पहले चुकानी होगी। इसके बाद ही कॉलेज संबद्धता के आवेदन कर सकेंगे। कुछ महीने पहले विवि ने कुछ कॉलेजों पर जुर्माना लगाया था। कॉलेजों ने स फैसले को कोर्ट में चुनौती देकर स्टे हासिल कर लिया था। इस वजह से भी संबध्दता नियम में बदलाव किया जा रहा है।
एक साथ डबल डिग्री देने पर भी बनी सहमति
सीएसवीटीयू के छात्र अब इंजीनियरिंग के साथ मैनेजमेंट यानी बीबीए की पढ़ाई भी कर सकेंगे। इसके लिए विवि ने हैदराबाद की जेएनटीयू यूनिवर्सिटी के साथ अनुबंध किया है। तीसरे सेमेस्टर के बाद बीबीए प्रोग्राम के लिए एक साथ नामांकन कराया जा सकेगा। इससे विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग के बाद एमबीए या बीबीए करने की जरूरत नहीं होगी। वे साथ-साथ दोनों डिग्री हासिल कर सकेंगे।
विवि के कार्यपरिषद की बैठक में संबद्धता परिनियम में संशोधन समेत पीएचडी संबंधित फैसले लिए गए हैं। सभी निर्णय छात्रहित में हैं। इससे कॉलेजों में सुविधाएं बढ़ाने में मदद मिलेगी।