रांची : झारखंड में एक ही थाना क्षेत्र में आदिवासियों के बीच आपस में जमीन की खरीद-बिक्री की बाध्यता शिथिल करने पर सरकार रेस है। इसके साथ ही संताल परगना में गैर जनजातियों के बीच आपस में जमीन की खरीद-बिक्री के मसले पर भी वह गंभीर है। मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में शुक्रवार को प्रोजेक्ट बिल्डिंग स्थित सभागार में आयोजित जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की 22वीं बैठक में इन मसलों पर खुलकर चर्चा हुई। तय हुआ कि सरकार इन मसलों पर सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। साथ ही सामाजिक संगठनों, ग्राम प्रधानों, आम जनता से राय मशविरा करेगी। तीन महीने के अंदर इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इधर, इस मसले पर निर्णय लेने के लिए टीएसी की पिछली बैठक में कल्याण मंत्री डा. लुइस मरांडी की अध्यक्षता में गठित उप समिति ने अपनी रिपोर्ट शुक्रवार को टीएसी को सौंप दी। उप समिति का मानना है कि पूर्व में एक ही थाना क्षेत्र में आज के कई जिले समाहित थे। आज एक जिले में दर्जनों थाने खुल आए हैं। ऐसे में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करना वर्तमान की मांग है। रिपोर्ट के अनुसार थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म होने के बाद आदिवासी समुदाय का कोई भी व्यक्तिपूरे राज्य में कहीं भी जीवन में सिर्फ एक बार अधिकतम 20 डिसमिल तक जमीन खरीद सकेगा।
टीएसी की इस अनुशंसा पर सरकार की मुहर लग जाने के बाद रांची नगर निगम क्षेत्र से बाहर भी जमीन खरीदने का रास्ता साफ हो जाएगा। जमीन की खरीद-बिक्री में इसका ख्याल रखा जाएगा कि कोई आदिवासी इतना जमीन न बेचे कि वह भूमिहीन हो जाए। इसी तरह संताल परगना के मामले में भूमिहीन हो या रैयती आवासीय उद्देश्यों से गैर आदिवासी जमीन खरीद सकेंगे। टीएसी ने इसी तरह आदिवासियों की भूमि खरीदने की नीयत से आदिवासी महिलाओं से शादी करने वाले गैर आदिवासियों के मंसूबे पर भी पानी फेर दिया है। जमीन खरीदने के इस हथकंडे पर पूर्ण विराम लगाने के लिए सरकार राज्य में ओडिशा की तर्ज पर शिड्यूल एरिया ट्रांसफर इमूवेबल प्रोपर्टी बाई शिड्यूल ट्राइब्स रेगुलेशन लागू करेगी। टीएसी की बैठक में इसपर सैद्धांतिक सहमति बनी। इसे प्रभावी करने के लिए सरकार रेगुलेशन लाएगी अथवा संबंधित कानून में संशोधन होगा, इससे जुड़े कोर्ट के विभिन्न आदेशों का सरकार जहां अध्ययन करेगी, वहीं इस मसले पर महाधिवक्ता (एजी) से राय मशविरा करेगी। ओडिशा के इस रेगुलेशन में गैर आदिवासियों द्वारा एसटी महिलाओं से शादी करने के बाद जमीन खरीदने पर संबंधित महिलाओं को अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं मानते हुए भूमि वापसी की कार्रवाई का प्रावधान है।