सेंदरी स्थित प्रदेश के एकमात्र मेंटल अस्पताल में स्टाफ और सुविधाओं की के मामले में शासन का जवाब प्रस्तुत नहीं हो पाया. कोर्ट ने जवाब देने के निर्देश देते हुए 45 दिन बाद अगली सुनवाई तय की है.
उल्लेखनीय है कि राज्य में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए 2017 में बने अधिनियम के अनुसार प्रावधान और सुविधा नहीं होने पर रायपुर के अधिवक्ता विशाल कोहली ने अधिवक्ता हिमांशु पांडेय के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान भी लिया है. दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई चल रही है. याचिका में बताया गया कि, डब्ल्यूएचओ के नियम अनुसार 10 हजार लोगों पर 1 मनोचिकित्सक होना चाहिए, जबकि राज्य में 8 लाख लोगों पर एक है. प्रावधान के अनुसार हर जिले में एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र और मनोचिकित्सक होने चाहिए. याचिका में यह भी बताया कि प्रदेश के एकमात्र राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के लिए 11 चिकित्सकों के पद स्वीकृत है. लेकिन उनमें से मात्र 3 पद पर ही सायकेट्रिस्ट नियुक्त हैं. इसके अलावा 1 ईएनटी और 1 आर्थोपेडिक चिकित्सक की नियुक्ति कर दी गई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को गंभीरता से लिया कि मनोचिकित्सक के पद ही नहीं भरे गए.