केंद्र सरकार ने कपास (Cotton) पर 30 सितंबर तक सीमा शुल्क (Customs duty) हटा दिया है. अभी तक कपास के आयात (Import of Cotton) पर 11 फीसदी टैक्स लगता था. इसमें पांच फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी और 5 फीसदी एग्री इंफ्रा डेवलपमेंट सेस था. कपास पर सीमा शुल्क (Customs Duty On Cotton) हटा लेने से पूरी टेक्सटाइल चेन- यार्न, फैब्रिक, गारमेंट्स और मेड अप्स को फायदा होगा. इससे टेक्सटाइल निर्यात को भी फायदा होगा.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, ‘‘अधिसूचना 14 अप्रैल, 2022 से प्रभाव में आएगी और 30 सितंबर, 2022 तक लागू रहेगी.’’ कॉटन से सीमा शुल्क हटने का पूरे कपड़ा क्षेत्र को फायदा होगा. इससे सूती धागा सस्ता होगा और सूती परिधानों के दामों हो रही बढोतरी पर भी लगाम लगेगी.
कपास के दाम हुए दोगुने
गौरतलब है कि इस बार भारत में कपास की कीमतों में भारी उछाल आया है. कपास (Raw Cotton) का भाव पिछले साल 5500-6000 रुपये प्रति क्विंटल था. जो इस बार बढ़कर 12,000 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है. कच्चा माल महंगा होने का असर यह हुआ है कि टैक्सटाइल इंडस्ट्री और स्पिनिंग मिलों को रूई महंगों भावों पर मिली है. इससे सूती धागे और कपड़े की लागत बढ़ गई है. एमसीएक्स पर अब कॉटन की एक बेल का रेट 44,000 रुपये तक बोला जा रहा है.
गौरतलब है कि कपड़ा उद्योग कॉटन की घरेलू कीमतों में कमी लाने के लिए कॉटन आयात पर लगने वाले शुल्क को हटाने की मांग लंबे समय से कर रहा था. कपड़ा उद्योग का कहना था कि कॉटन के भाव बढ़ने से उनके लिए काम करना काफी मुश्किल हो गया है और इससे भारतीय टेक्सटाइल निर्यात भी प्रभावित हो रहा है.
कॉटन की उपलब्धता कम
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इस बार कॉटन के रेट तेज हैं. इसका कारण प्रमुख कॉटन उत्पादक देशों में फसल उत्पादन कम होना और चीन की ओर से बढ़ी हुई मांग है. भारत में भी कोरोना प्रतिबंध हटने के बाद टेक्स्टाइल इंडस्ट्री की मांग में भारी इजाफा हुआ है. इसलिए सरकार ने महंगाई को काबू करने के लिए आयात शुल्क को हटाया है. वहीं जानकारों का कहना है कि भारत के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कॉटन के दाम बढेंगे.