राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून (NPHA) लाने वाली है. इसका मसौदा तैयार किया जा रहा है. इसके बाद इस पर विशेषज्ञों और आम जनता की राय ली जाएगी. सभी संबंधित पक्षों से राय-मशविरा और जरूरी परिवर्तनों के बाद इसी मानसून सत्र में इसे संसद में विचार-विमर्श के लिए पेश किया जा सकता है. वहां से पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून 125 साल पुराने अंग्रेजों के बनाए कानून की जगह लेगा. उस कानून को ‘महामारी अधिनियम’ (Epidemic Diseases Act)-1897 कहा जाता है. केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, यह देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहद महत्त्वपूर्ण बदलाव साबित होगाा, जो एक साथ कई स्तरों पर लंबे समय तक अपना असर दिखाएगा. वे बातचीत के दौरान इसके स्वरूप और प्रावधानों आदि का कुछ संकेत देते हैं. उन्हें जानना हर किसी के लिए बेहद अहम हो सकता है.
कैसे और कब जरूरत महसूस हुई इस नए कानून की
सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून (NPHA) बनाने पर 2017 से ही विचार चल रहा है. क्योंकि केंद्र में उच्च स्तर पर महसूस किया गया 125 साल पुराना कानून (EDA) देश के स्वास्थ्य-तंत्र की आवश्यकताओं तथा नए परिस्थितियों और चुनौतियों के हिसाब से अब प्रभावी साबित नहीं हो रहा है. इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई नई व्यवस्था बनाने की जरूरत है. फिर इसी दौरान 2019 के आखिर में जब कोरोना महामारी का वैश्विक स्तर पर प्रसार हुआ, तब एनपीएचए (NPHA) की आवश्यकता और अधिक महसूस हुई. इस पर फिर कार्रवाई भी तेज हुई.
नया कानून किस-किस तरह की स्थितियों से निपटेगा
एनपीएचए सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं परिवार-कल्याण (Family Welfare) से जुड़े सभी पहलुओं से निपटेगा. साथ ही, इसमें आधुनिक समय की चुनौतियों के अनुरूप विशिष्ट प्रावधान भी किए जा रहे हैं. ताकि यह जैविक-आतंकवाद (जिसमें आतंकी जैविक हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं), परमाणु या रासायनिक हमला (Chemical or Nuclear Attack), प्राकृतिक आपदा (Natural Disasters), सभी तरह की संक्रामक बीमारी आदि से उपजने वाली परिस्थितियों से निपटने में सक्षम हो.
किस तरह की व्यवस्था हो सकती है नए कानून में
सूत्रों ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को जो बताया है उसके मुताबिक, नए कानून के तहत 4 स्तरों का एक तंत्र बनाया जाएगा. हर स्तर पर एक संगठित इकाई होगी, जिसकी शक्तियां और कामकाज स्पष्ट रूप से परिभाषित किए जाएंगे. जैसे- केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (NPHA) गठित किया जा सकता है. इसके प्रमुख केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (Union Health Minister) होंगे. इसी तरह की इकाई राज्य-स्तर पर बन सकती है, जिसकी अध्यक्षता राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री करेंगे. तीसरा स्तर जिलों में होगा. वहां स्थानीय कलेक्टर की अध्यक्षता में ऐसी ही इकाई बनेगी. चौथा विकासखंड स्तर होगा. वहां विकासखंड चिकित्सा अधिकारी (BMO) प्रमुख होंगे. इन्हें गैर-संक्रामक और संक्रामक बीमारियों आदि से निपटने के लिए अपने दायरे में सभी तरह के कदम उठाने तथा निर्णय लेने का अधिकार होगा.