देश का हर वर्ग बजट की घोषणाओं को लेकर अपने-अपने कयास लगाना शुरू कर देता है. जानकार बताते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अपने बजट भाषण (budget speech) में बिजली उत्पादन बढ़ाने, प्रदूषण कम करने और किसानों की आमदनी बढ़ाने से संबंधित एक मिश्रित योजना का उल्लेख कर सकती हैं.
जानकार बताते हैं कि इस योजना को ‘समर्थ’ नाम दिया गया है और इस योजना में कोयला से बनने वाली बिजली परियोजनाओं में 5 फीसदी बायोमास का इस्तेमाल अनिवार्य कर किया जा रहा है. सरकार के इस कदम से किसानों को सालाना लगभग 15,000 करोड़ रुपये की आमदनी होगी. इस पहल की सबसे खास बात यह है कि जब पराली की इस्तेमाल बिजली घरों में होगा तो इससे हर साल दिल्ली-एनसीआर में होने वाला वायु प्रदूषण भी कम होगा. साथ ही बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ेगी. बिजली बनाने में कोयले की मांग कम होगी.
700 मिलियन टन कोयले की खपत
भारत के बिजली प्लांट हर साल लगभग 700 मिलियन टन कोयले (coal) की खपत करते हैं. अलग इसमें 5 फीसदी पराली या अन्य बायोमास का इस्तेमाल होगा तो लगभग 35 मिलियन टन कम कोयला जलाया जाएगा. कोयला कम जलेगा तो कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) भी कम होगा.
सरकार की समर्थ यह योजना किसानों को फसल की पराली को जलाने के बजाय उसे भूसा में बदलने के लिए प्रोत्साहित करने की है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली (Delhi), राजस्थान और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हर साल बड़े पैमाने पर पराली जलाई जा रही है.
कोयला बिजली प्लांट
भारत की बिजली उत्पादन (power generation) का मुख्य आधार 202.22 गीगावाट (GW) की कोयला-ईंधन वाली बिजली परियोजनाएं (Coal based Power Plants) हैं. भारत की बिजली उत्पादन क्षमता के आधे से अधिक का उत्पादन कोयला बिजली प्लांट में ही होता है. भारत के पास कोयले का दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार है और दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक (coal producer) देश है.
योजना के अनुसार यह जरूरी किया जा रहा है कि सभी थर्मल पावर प्लांट (thermal power plants) दिशानिर्देश जारी होने की तारीख से एक वर्ष के भीतर कोयले के साथ कृषि अवशेषों से बने बायोमास के 5 फीसदी मिश्रण का इस्तेमाल करेंगे.
कार्बन फुटप्रिंट कम करने की नीति
बताया जा रहा है कि सरकार ने इस नीति को मंजूरी दे दी गई है और यह कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की भारत की रणनीति का हिस्सा है. एनटीपीसी लिमिटेड (NTPC Ltd) और हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश ने बिजली पैदा करने के लिए ईंधन के रूप में बायोमास की खरीद शुरू कर दी है.
नवंबर में ग्लासगो में COP26 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2030 तक भारत के कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) में एक बिलियन टन की कटौती करने, दशक के अंत तक देश की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 फीसदी से कम करने और इस उत्सर्जन को शून्य पर लाने का संकल्प लिया था.