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केंद्र से डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री के लिए नियम बनाने की मांग, मंत्रियों से मिलेगा ADSEI प्रतिनिधिमंडल

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देश की डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां (Direct Selling Companies) अब चिटफंड कंपनियों (Chit Fund Companies) पर शिकंजा कसने के लिए खुद आगे आने लगी हैं. डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों की एसोसिएशन एसोसिएशन ऑफ डायरेक्ट सेलिंग एंटिटी ऑफ इंडिया (ADSEI) ने डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री को लेकर केंद्र सरकार से नियम बनाने की मांग की है. एडीएसइआई का मानना है कि नियम बनने के बाद रोजगार सर्जन, आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना एवं वोकल फॉर लोकल के उद्देश्य से कार्य कर रही डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के लिए काम करना और भी आसान हो सकेगा.

रोहिणी में आयोजित डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों की समिट में एकजुटता से यह निर्णय लिया गया कि इस संबंध में जल्दी ही एडीएसईआई का एक प्रतिनिधि मंडल केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रियों और अधिकारियों से मिलेगा. समिट में देश भर की लगभग 50 से अधिक डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के डायरेक्टर्स ने हिस्सा लिया और भविष्य की योजनाओं और इस व्यवसाय से जुड़ी कंपनियों के सामने आ रही समस्याओं एवं उनके निदान पर विस्तृत चर्चा की.

एसोसिएशन के सचिव एवं केंद्रीय खाद्य वितरण एवं उपभोक्ता मंत्रालय के पूर्व सचिव हेम पांडे ने यहां आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को सच करने में डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों की भूमिका को महत्वपूर्ण माना.

समिट में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए भाजपा नेता एवं सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने कहा कि निश्चित ही कुछ चिटफंड कंपनियों के कारण ईमानदारी से कार्य कर रही डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री से जुड़े व्यवसायियों को परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्‍होंने कहा कि जब से केंद्र में मोदी सरकार बनी है, उसके बाद से इस इंडस्ट्री के अच्छे दिन शुरू हो चुके हैं. वर्ष 2016-2017 में मोदी सरकार इस इंडस्ट्री के लिए पहली बार गाइडलाइंस लेकर आई, जिसका इंतज़ार इंडस्ट्री को पिछले 20 वर्षों से था.

मनोज तिवारी ने आगे कहा कि इस इंडस्ट्री से रोजगार के अवसर के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिला है. उन्‍होंने समित में मौजूद कंपनी मालिकों और अधिकारियों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि एसोसिएशन द्वारा उठाई गई बातों को वो केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रियों व अधिकारियों तक पहुंचाएंगे ताकि उनकी समस्याओं का निदान हो सके.

इस मौके पर एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के समक्ष अपनी मांग रखते हुए कहा कि डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री को लेकर जल्द से जल्द नियम बनाएं जाएं. नियम बनने से एक तरफ़ जहां देश की जनता में इस इंडस्ट्री को लेकर भरोसा पैदा होगा, वहीं दूसरी तरफ मनी रोटेशन, चिटफंड करने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसने में आसानी होगी.

एसोसिएशन के संजीव कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा कि डायरेक्ट सेलिंग के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के साथ-साथ वोकल फ़ॉर लोकल की अवधारणा को साकार करने में अवश्य ही तेजी आएगी. एसोसिएशन ने कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जहां बाकी सब इंडस्ट्री में डाऊनफाल आया, उस समय में डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री ने सबसे ज्यादा ग्रोथ की.

वहीं, एसोसिएशन की तरफ से पर्यावरण की शुद्धता के लिए भी कार्य करने का निर्णय लिया. एसोसिएशन ने कहा कि प्रदूषण की भयावह स्थिति को देखते हुए हर वर्ग को पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आगे आना होगा. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन जल्दी ही इस संबंध में भी एक कार्य योजना तैयार कर पर्यावरण संरक्षण के लिए काम शुरू करेगी. इस दौरान डायरेक्ट सेलिंग कोच सुरेंद्र वत्स, हैप्पी हेल्थ इंडिया के डायरेक्टर पवनदीप अरोड़ा, एडब्ल्यूपीएल के डायरेक्टर संजीव कुमार , दारजुव9 के डायरेक्टर जितेंद्र डागर, शोपनेट के डायरेक्टर अरविंद अत्रि , रोबे (आरओबीई) इंडिया के डायरेक्टर संजीव कुमार ने भी अपनी-अपनी बातें रखते हुए डायरेक्ट सेलिंग के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा रोजगार सर्जन करने का विश्वास जताया.