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वो 09 नियम क्या हैं, जिनका पालन राज्यसभा में सांसदों के लिए जरूरी

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अभी राज्यसभा में 05 विपक्षी दलों के 12 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. पहली बार राज्यसभा में इतने सांसदों पर इतनी कड़ी कार्रवाई हुई है. विपक्ष इससे नाराज है लेकिन राज्यसभा के कुछ ऐसे नियम हैं, जिनका पालन उसके सदस्यों को करना चाहिए. कुछ ऐसी भी बातें जो राज्यसभा में कभी नहीं करनी चाहिए.

क्या नहीं करना चाहिए, उसे लेकर राज्यसभा में एक नियमावली है, जो हर राज्यसभा को तभी दे दी जाती है, जब वो राज्यसभा के लिए चुने जाते हैं. वैसे हम आपको बता दें कि राज्यसभा के सभापति ने नियम 256 के तहत जिन 12 सांसदों का निलंबन किया है. उन्हें मानसून सत्र के आखिरी दिन जबरदस्त हिंसा और सुरक्षाकर्मियों के प्रति हिंसात्मक रुख के कारण इस अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.

अब हम जानते हैं कि राज्यसभा की नियमावली के अनुसार वो कौन सी 09 बातें हैं जो राज्यसभा के सदस्य उच्च सदन में नहीं कर सकते. अगर वो ऐसा करते हैं तो तुरंत कार्रवाई की जद में आ जाते हैं. कुछ बातें ऐसी भी हैं जो उनसे करने की अपेक्षा की जाती है.

क्या हैं वो 09 बातें
ये बातें राज्यसभा की नियमावली में नियम 235 के तहत दर्ज हैं, जिसके पालन की उम्मीद हर राज्यसभा सदस्य से सत्र की कार्यवाही के दौरान की जाती है.
जब राज्य सभा की बैठक हो रही हो तब कोई सदस्य :-
1. ऐसी पुस्तक, समाचार-पत्र या पत्र नहीं पढ़ेगा जिसका राज्य सभा की कार्यवाही से संबंध न हो
2. किसी सदस्य के भाषण करते समय उसमें अव्यवस्थित बात या शोर या किसी अन्य अव्यवस्थित तरीके से बाधा नहीं डालेगा.
3. राज्य सभा में प्रवेश करते समय या राज्य सभा से बाहर जाते समय और अपने स्थान पर बैठते समय या वहां से उठते समय भी सभापीठ के प्रति नमन करेगा.
4. जब सभापीठ और कोई सदस्य भाषण दे रहा हो तो उसके बीच से नहीं गुजरेगा.
5. जब सभापति राज्य सभा को संबोधित कर रहे हों तो राज्य सभा से बाहर नहीं जायेगा.
6. सदैव सभापीठ को सम्बोधित करेगा.
7. राज्य सभा को सम्बोधित करते समय अपने सामान्य स्थान पर ही रहेगा
8. जब वह राज्य सभा में नहीं बोल रहा हो तो शांत रहेगा
9. कार्यवाही में रुकावट नहीं डालेगा. हल्ला नहीं मचाएगा. बाधा नहीं डालेगा. जब राज्य सभा में भाषण दिए जा रहे हों तो साथ-साथ उनकी टीका-टिप्पणी नहीं करेगा.

आमतौर पर टूटते ही रहते हैं ये नियम
हालांकि ये नियम बने तो जरूर हैं लेकिन हम ये देखते हैं कि आमतौर पर राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान इन सभी नियमों को तोड़ने की प्रथा सी ही बन गई है. अनुशासन की दृष्टि से अगर सदस्य ये नियम हल्के फुल्के तौर पर तोड़ते हैं तो नजरंदाज ही किया जाता है लेकिन ज्यादा हंगामा करने या तोड़फोड़ करने पर कार्रवाई की जाती है.