उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) के जंगलों में बसी थारू जनजाति (Tharu Tribe) की महिलाओं की जिंदगी अब योगी सरकार की ओडीओपी योजना में बदल रही है. महिलाएं थारू क्राफ्ट बनाकर न केवल देश-विदेश में अपना नाम कमा रही हैं, बल्कि अपने पैरों पर भी खड़ी हो रही हैं. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट के तहत थारू ट्राइबल क्राफ्ट को यूपी सरकार ने खीरी जिले में गुड़ के साथ चुना था.
थारू क्राफ्ट बना रही आरती राना कुछ दिन पहले तक दुधवा टाइगर रिजर्व और जंगलों के आसपास उससे अपनी रोजी-रोटी चलाती थीं. जंगलों पर आश्रित थीं, लेकिन यूपी सरकार की ओडीओपी की योजना के तहत अब आरती को काम मिल गया है. आरती को एक मिनट की फुर्सत नहीं है. उनके सधे हुए हाथ अपने परंपरागत कला और संस्कृति से जुड़कर अंतरराष्ट्रीय बाजार तक अपनी पहचान बना रहे हैं. पारंपरिक उत्पादों को बनाकर आरती अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं. अपने जैसी तमाम महिलाओं को रोजगार से जोड़ भी रही हैं.
थारू महिला आरती राना कहती हैं कि हमारा और महिलाओं का जीवन बदल रहा है. अब महिलाओं को एक मिनट की फुर्सत नहीं है. करीब पांच हजार महिलाएं ओडीओपी से जुड़कर रोजगार चला रही हैं. हालांकि आरती सिर्फ अकेली नहीं है. आरती जैसी करीब पांच हजार महिलाओं को ओडीओपी योजना से जुड़ कर काम मिला है. कोई जूट का काम करता है तो कोई मूंज का… महिलाओं के हाथों को काम मिला है तो उनका आत्मविस्वास भी बढ़ा है.
दुधवा टाइगर रिजर्व में रहते हैं थारू जनजाति के कई लोग
थारू जनजाति दुधवा टाइगर रिजर्व के आसपास बहुतायत में पाई जाती है, जनजातीय इन महिलाओं के पास पहले कोई काम नहीं था, पर इनका पारंपरिक ज्ञान इन को बखूबी आता था. अपनी कला और संस्कृति के प्रति थारू काफी जानकारी रखते थे. हस्तकला हो या दीवारों पर चित्रकारी थारू महिलाओं को खूब आती थी. रोज के कामों में डलवा बनाना उनका काम था. इस ग्रामीण और पारंपरिक कला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने को योगी सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट(ODOP) योजना के तहत थारू क्राफ्ट को चुना. योजना के तहत ट्रेनिंग दिलाई गई.