मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वालों ने सरकार और विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिक्षकों ने कहा कि हर बार सिर्फ शिक्षक ही परीक्षा क्यों दे? मलाईदार पदों के लिए क्यों कोई परीक्षा नहीं होगी। मध्यप्रदेश शासकीय अध्यापक संगठन की बुधवार रात हुई बैठक में सीएम राइज स्कूल के नाम पर शिक्षकों की परीक्षा करने का विरोध किया गया। इसके बाद संगठन के पदाधिकारियों ने स्कूल शिक्षा मंत्री को मांगों को लेकर पत्र भी सौंपा।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता के लिए नए प्रयोग और नवाचार के नाम पर शिक्षा विभाग योजना बनाकर शिक्षकों को परेशान कर रहा है। पहले मॉडल स्कूल, उत्कृष्ट विद्यालय और फिर अन्य योजनाएं लाई गईं। शिक्षकों की परीक्षा करवाकर इन स्कूलों में पदस्थ किया गया।
शिक्षा विभाग की उक्त योजना विफल हो गई, तो बार फिर सीएम राइज स्कूल के नाम पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के नाम पर शिक्षकों की परीक्षा कराई जा रही है। यह न्याय संगत नहीं है। हर बार शिक्षकों को ही बार बार परीक्षा से क्यों गुजरना पड़ता है, जबकि विभाग के अन्य मलाईदार पदों जैसे मंत्री स्टाफ, लोक शिक्षण, राज्य शिक्षा केंद्र, संस्कृत संस्थान, राज्य ओपन, माध्यमिक शिक्षा मंडल, डीईओ, डीपीसी, बीआरसी इत्यादि कार्यालयों में पदस्थ अधिकारियों, कर्मचारियों की परीक्षा के माध्यम से क्यों पदस्थापना नहीं होती।
सिर्फ शिक्षकों की पदस्थापना परीक्षा से कराने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो जाएगा। जो मलाईदार पदों पर सिफारिश और लेनदेन करके पदस्थ हो जाते हैं। उन्हीं पर शिक्षा विभाग की योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है। इनकी पदस्थापना परीक्षा के माध्यम करना आवश्यक है। शिक्षकों की नहीं।
कौशल ने कहा कि हम मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने की मांग करते हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग में समस्त अधिकारी, कर्मचारी वर्ग की पदस्थापना परीक्षा करवाई जाए, अन्यथा शिक्षकों की भी परीक्षा के माध्यम से पदस्थापना करने के आदेश को निरस्त कर सीएम राइज स्कूलों में मूल्यांकन, प्रशिक्षण, अनुभव अथवा बच्चों के परीक्षा परिणाम के आधार पर शिक्षकों की पदस्थापना की मांग की जाना चाहिए।