पीएम नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) की थीम को आगे बढ़ाते हुये कोटा जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़ ने इस बार मिट्टी के दीयों (Earthen lamps) की बिक्री बढ़ाने के लिये इसको लेकर बाकायदा खास आदेश जारी किया है. इस आदेश के अनुसार नगरीय क्षेत्र में मिट्टी के दीपों को तैयार कर बेचने वालों को इसके लिये प्रशासनिक रूप से जगह दी जाएगी. उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत होने नहीं हो इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा. वहीं प्रशासनिक स्तर पर हर संभव मदद भी उन्हें दिलवाई जाएगी. कलेक्टर ने सरकारी अधिकारी कर्मचारियों से अपील की है कि वे मिट्टी के दीपक खरीदें.
भगवान श्रीराम जब 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे तो हर घर में मिट्टी के दीए जलाकर रोशनी की गई थी. मिट्टी के दीयों से अयोध्या नगरी रोशनी से सराबोर हो गई थी. तब से लेकर अब तक दिवाली पर दीपक ही हमारी संस्कृति रही है. हर दिवाली घर घर में मिट्टी के दीए जलाए जाते थे. लेकिन साल दर साल मिट्टी के दीपों का दौर धुंधला होता चला गया.
दिन प्रतिदिन घटती गई दीयों की बिक्री
बदलते हाईटेक वक्त के साथ इलेक्ट्रिक रोशनी ने अपनी जगह बना ली है. साल दर साल मिट्टी के हुनरमंदों के दीए का कारोबार घटता गया. इलेक्ट्रिक बाजार से लेकर चाइनीज तकनीक ने हमारी संस्कृति को बहुत पीछे छोड़ दिया. दीयों की बिक्री दिन प्रतिदिन घटती गई और चाइनीज लाइटिंग का कारोबार बढ़ता गया.
पीएम मोदी का ‘वोकल फॉर लोकल’ का संदेश
उसके बाद हाल ही में कोरोना काल में पीएम नरेन्द्र मोदी ने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये ‘वोकल फॉर लोकल’ का संदेश दिया था. इसी कड़ी में कोटा कलेक्टर ने यह अनूठी पहल की है. जिला कलेक्टर ने दीये बनाने वालों की सुध लेते हुये मिट्टी के दीपों का कारोबार को बढ़ाने की यह पहल की है. उसके बाद दीयों का कारोबार करने वाले हुनरमंद लोगों में इस बार उम्मीद की नई किरण जगी है.
10 फीसदी पर रह गया कारोबार
कोटा के पांचूलाल प्रजापत बरसों से दिवाली पर दीपक बनाने का काम करते हैं. उनके मुताबिक पहले हर दिवाली पर वे मिट्टी के हजारों लाखों दीये तैयार करते थे. पूरा परिवार इस काम में लगता था. उन्हें राजस्थान भर में भेजा था. लेकिन समय के साथ यह कारोबार घटता गया. बकौल पांचूलाल प्रजापति पीढ़ियां गुजर गई इस काम को करते करते हैं लेकिन आज यह महज 10 फीसदी पर रह गया है.
अब नहीं हटायेगा कोई फुटपाथ से
कोटा शहर में जो हुनरमंद दीपक की दुकान लगाते हैं उन्हें बहुत सी बार फुटपाथ से भी हटा दिया जाता है. हालांकि उनसे किसी तरह का कोई कर नहीं लिया जाता लेकिन उन्हें कभी भी हटा दिया जाता है. इस बार कोटा कलेक्टर के आदेश के बाद मिटटी को दीयों में ढालने वाले हुनरमंदों में खुशी की लहर दौड़ गई है.