तीन अलग-अलग मंत्रियों, कई बार नियमों में बदलाव, दो बार मिशन रुकने के बाद अंतत: अब दो दशक बाद भारतीय टैक्सपेयर्स को घाटे में चल रही एयरलाइन एअर इंडिया (Air India) को उड़ान में बनाए रखने के लिए रोजाना 20 करोड़ रुपये नहीं देने होंगे.
विपक्षी कांग्रेस ने हालांकि एअर इंडिया की बिक्री के फैसले का विरोध किया है, लेकिन डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट यानी दीपम (DIPAM) के सचिव तुहिन कांत पांडेय का कहना है कि टाटा को हम दुधारू गाय नहीं सौंप रहे हैं. यह एयरलाइन संकट में थी और इसे खड़ा करने के लिए पैसा लगाने की जरूरत होगी.
एक साल तक Air India के कर्मचारियों को हटा नहीं सकती है Tata
पांडेय ने कहा, ”टाटा एक साल तक एयरलाइन के कर्मचारियों को हटा नहीं सकती. उसके बाद भी यदि उसे अपने कर्मचारियों की संख्या में बदलाव करना है, तो वीआरएस देनी होगी. एअर इंडिया की नई मालिक टाटा के पास एकमात्र लाभ यह है कि वे उस कीमत का भुगतान कर रहे हैं जिसमें उन्हें लगता है कि वे इसका प्रबंधन कर सकेंगे. वे पिछले वर्षों के दौरान घाटे को पूरा करने के लिए जुटाए गए अतिरिक्त कर्ज को नहीं ले रहे हैं. हमने इसे चालू हालत में बरकरार रखा है. इस प्रक्रिया से टैक्सपेयर्स का भी काफी पैसा बचा है.”
टाटा ग्रुप ने एअर इंडिया को खरीदा
इससे पहले इसी महीने सरकार ने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी की इकाई टैलेस प्राइवेट लि. की एअर इंडिया के लिए पेशकश को स्वीकार कर लिया था. इसके लिए टाटा द्वारा 2,700 करोड़ रुपये का नकद भुगतान किया जाएगा, जबकि वह एयरलाइन का 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज भी लेगी. एअर इंडिया पर 31 अगस्त तक कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था. इसमें से 75 फीसदी यानी 46,262 करोड़ रुपये का कर्ज विशेष इकाई एआईएएचएल में स्थानांतरित किया जाएगा. उसके बाद इस घाटे वाली एयरलाइन को टाटा ग्रुप को सौंपा जाएगा. टाटा को एयरलाइन की गैर-मुख्य संपत्तियां मसलन वसंत विहार में एअर इंडिया की आवासीय कॉलोनी, मुंबई के नरीमन पॉइंट में एयर इंडिया का भवन और नई दिल्ली में एअर इंडिया का भवन भी नहीं मिलेगा.
पांडेय ने कहा, ”हमने टाटा ग्रुप को दो साल के लिए इस्तेमाल की अनुमति दी है. दो साल के अंदर हमें इनके मौद्रिकरण की योजना बनानी होगी जिससे इस पैसे का इस्तेमाल एआईएएचएल की देनदारियों को पूरा करने के लिए किया जा सके. टाटा को जो 141 विमान मिलेंगे उनमें से 42 लीज या पट्टे वाले और शेष 99 खुद के स्वामित्व वाले होंगे. इंजन और अन्य रखरखाव की वजह से इनमें से कई विमान अभी खड़े हैं.”
जल्द पूरा होगा Air India को सौंपने का काम
पांडेय ने कहा, ”हम टाटा ग्रुप को एयरलाइन सौंपने का काम जल्द पूरा करना चाहते हैं. एयरलाइन के परिचालन पर प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. एयरलाइन के नए मालिक को काफी पैसा खर्च करना होगा. विमानों में सुधार के लिए निवेश करना होगा, उन्हें नए सिरे से तैयार करना होगा. बेकार पड़ चुके विमानों के लिए नए ऑर्डर देने होंगे. उसके बाद ही वे पुनरुद्धार कर सकते हैं. इसके अलावा यह भी शर्त लगाई गई है कि वे एक साल तक कर्मचारियों को निकाल नहीं सकते. दूसरे साल से उन्हें कर्मचारियों को हटाने के लिए वीआरएस देना होगा.”