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सुपरटेक ट्विन टॉवर मामला: विजिलेंस की जांच में खुल रहे बड़े राज, नोएडा अथॉरिटी के कई असफर 1000 करोड़ के मालिक.

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सुपरटेक ट्विन टॉवर मामले (Supertech Twin Tower case) में जैसे-जैसे विजिलेंस की जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे हर रोज नये खुलासे हो रहे हैं. इस बीच विजिलेंस की टीम को नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों की अकूत संपत्ति का पता चला है, जो कि उन्‍होंने बिल्‍डरों को अनुचित लाभ देकर एकत्रित की है. इस वजह से नोएडा अथॉरिटी के तमाम अधिकारियों की सांसें अटक रही हैं.
यही नहीं, विजिलेंस की जांच में यह भी पता चला है कि नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने बिल्‍डरों के प्रोजेक्‍ट्स में निवेश करने के अलावा इंडस्ट्रियल, कमर्शियल और आईटी के प्‍लॉट्स में जमकर पैसा लगाया है. वहीं, जांच में पता चला है कि नोएडा अथॉरिटी के कई अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं, जो कि 500 से 1000 करोड़ रुपये की अकूत संपत्ति के मालिक हैं.

इन लागों को लेकर हो रही जांच
विजिलेंस की जांच के दायरे में इस वक्‍त नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रहे मोहिंदर सिंह के अलावा एके द्धिवेदी, आरपी अरोड़ा, पीएन बाथम, एके मिश्रा, यशपाल सिंह, राजपाल, टीएन पटेल , केके पांडे, एमसी त्‍यागी समेत कई लोग हैं, जिन्‍होंने बिल्‍डरों को अनुचित लाभ देकर अकूत संपत्ति कमाई है. कुल मिलाकर 29 अधिकारी और कर्मचारी जांच के दायरे में हैं .
कुछ की दिल्‍ली-एनसीआर में बेनामी संपत्ति, तो एक ऑस्‍ट्रेलिया में सेटल
वहीं, विजिलेंस की जांच में पता चला है कि नोएडा अथॉरिटी के कई अधिकारियों और कर्मचारियों की संपत्ति नोएडा के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मुंबई, उत्तराखंड और हिमाचल तक में है. इसके अलावा एक अधिकारी ऑस्‍ट्रेलिया में सेटल हो गया है. वहीं, कुछ अधिकारियों ने होटल, स्‍कूल, कॉलेज, बार और अस्‍पताल में भी निवेश किया है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नोए़डा में सुपरटेक लिमिटेड ग्रुप के ट्विन टॉवर्स को गिराने के निर्देश दिए थे. इसमें करीब 850 फ्लैट्स है. जांच में पता चला था कि निर्माण में भवनों के बीच की दूरी और अग्नि संबंधित नियमों का उल्लंघन किया गया था. कोर्ट ने यह भी काह कि टॉवर का निर्माण नोएडा के अधिकारियों और समूह के बीच ‘मिलिभगत’ के जरिए हुआ था. साथ ही अदालत ने इनके खिलाफ मुकदमा चलाने की भी अनुमति दी है. वहीं, यूपी सरकार ने इस मामले में कुछ अधिकारियों के निलंबन की कार्रवाई की है.