vijay mallya bankrupt विजय माल्या को लंदन की कोर्ट ने दिवालिया घोषित कर दिया है. इस फैसले के बाद बैंक को अपना कर्ज वसूलने में आसानी होगी. इस फैसले के कई मायने हैं. दिवालिया घोषित होने के बाद कैसे भारत के बैंक इससे कर्ज वसूल सकेंगे. विजय माल्या पर किस तरह की पाबंदी रहेगी.
शराब कारोबारी विजय माल्या को दिवालिया घोषित होने के बाद अपना लसभी डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ-साथ अपनी शेष संपत्ति एक दिवालियापन ट्रस्टी को सौंपनी होगी. यही आगे की जांच केरगी और किन्हें कितने देना है इसका निर्धारण करेगी. माल्या ने 2013 के आसपास एक दर्जन से अधिक भारतीय बैंकों से 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण लिया.
माल्या के खिलाफ भारत की कई जांच एजेंसियां जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) जांच कर रही है.
विजय माल्या बैंगलोर स्थित यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (यूबीएचएल) के अध्यक्ष थे. इस वक्त वह किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक थे. इस एयरलाइंस को साल 2003 में लांच किया गया था. एयरलाइन ने 2005 में परिचालन शुरू किया साल 2007 में किंगफिशर ने एयर डेक्कन को खरीदने का फैसला कर लिया. इस खरीद की पूरी प्रक्रिया 2008 में हुई. किंगफिशर एयरलाइंस ने एयर डेक्कन की मूल कंपनी डेक्कन एविएशन में लगभग 46 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का भुगतान करके खरीद लिया.
इसी साल कंपनी ने घाटा दिखाना शुरू कर दिया. उस वक्त तेल की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई जिसका सीधा असर एयरलाइंस पर पड़ा. इस घाटे के साथ ही कंपनी का कर्ज बढ़ना भी शुरू हो गया. ग्लोबसिन बिजनेस स्कूल, कोलकाता ने इस पर एक शोध किया जिसमें पाया गया कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद से कभी भी लाभ की सूचना नहीं दी थी. यह शोध साल 2013 में पेश किया गया था.
साल 2012 में एयरलाइंस ने अपने सभी परिचालन, घाटा और ऋण की वजह से बंद कर दिये. 2013 में, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व में भारतीय बैंकों के एक संघ ने यूबीएचएल से 6,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण की वापसी के लिए संपर्क किया. ऋणों का भुगतान नहीं किया गया था और 2014 के अंत में, यूबीएचएल, जो एयरलाइंस की गारंटर थी, ने इसे एक विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया.
मार्च 2016 में विजय माल्या ब्रिटेन फरार हो गया. एक साल बाद साल 2017 के फरवरी महीने में भारत ने ब्रिटेन से माल्या के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया. तब से लेकर आज तक भारत लगातार उसके वापसी के लिए प्रयास कर रहा है. किंगफिशर एयरलाइंस सहित उनकी कुछ कंपनियों पर कंपनी अधिनियम, 2013 और पूंजी बाजार नियामक द्वारा निर्धारित मानदंडों के उल्लंघन के आरोप हैं.