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एसटीएफ के छह जवानों की कैसे हुई मौत, होगी जांच

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रांची : लातेहार के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में 26 जून को एसटीएफ के नक्सलियों के आइइडी ब्लास्ट में छह जवान कैसे शहीद हुए. कहां पर चूक हुई. इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं. इसकी उच्चस्तरीय जांच करायी जायेगी. पुलिस मुख्यालय के एक वरीय अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है.

इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि एसटीएफ के जवानों को नक्सलियों से लड़ने के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया गया है.

ऐसे में उन्हें आसानी से नक्सली निशाना नहीं बना सकते हैं, जैसे कि इस घटना में हुई है, यह बड़ा सवाल है़ सूत्रों के मुताबिक पुलिस की टीम 25 जून को नक्सल अभियान पर निकली थी. टीम का नेतृत्व लातेहार के एसपी प्रशांत आनंद और गढ़वा की एसपी शिवानी तिवारी कर रहीं थीं. पहले से तय रणनीति के मुताबिक पूरी पुलिस टीम को बूढ़ा पहाड़ के नीचे से गुजरते हुए उसी शाम गढ़वा पहुंच जाना था.

इसमें नक्सलियों के हमले की गुंजाइश का अंदेशा नहीं था. लेकिन अचानक रणनीति में बदलाव करते हुए प्लान के उलट रात में बीच रास्ते में पूरी पुलिस टीम रुक गयी. पुलिस के रुकने की सूचना नक्सलियों तक पहुंच गयी. इसका फायदा उठाते हुए नक्सलियों ने उन तमाम रास्तों पर अपने दस्ते को लगा दिया़

इसका परिणाम यह हुआ कि अगले दिन पुलिस के स्तर से हुई चूक कह लें या लापरवाही, छह जवान शहीद हो गये. हद, तो यह है कि दोनों एसपी के नेतृत्व में पुलिस टीम के बीच रास्ते में रुकने तक की जानकारी पुलिस मुख्यालय के आलाधिकारियों तक को नहीं थी.

दो बड़े अफसरों में हुई तकरार : लातेहार में छह जवानों के शहीद होने के मामले में विभागीय सूत्र बताते हैं कि पुलिस मुख्यालय के दो अफसरों में दोषी अफसरों पर कार्रवाई को लेकर तकरार हुई है. कहा जा रहा है कि एक अफसर बिना सूचना दिये नक्सल अभियान में चूक करने व जवानों की अकारण मौत के लिए दोषी अफसरों पर कार्रवाई की बात कह रहे थे.

जबकि उनसे बड़े अधिकारी इसके पक्ष में नहीं थे. कहा तो यह भी जा रहा है कि नक्सल अभियान से डायरेक्ट जुड़े अफसरों को कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन एक वरीय अफसर ने संबंधित रेंज के एक अफसर को कहा था कि जाओ बूढ़ा पहाड़ में इंडा गाड़ दो. यही वजह रही कि अभियान में शामिल अफसरों ने अति उत्साह में बड़ी चूक कर दी. हालांकि इन सारी बातों की हकीकत क्या है, यह जांच के बाद ही सामने आयेगा़

इन सवालों के जवाब की तलाश की जायेगी

25 जून को बूढ़ा पहाड़ के लिए निकली थी पुलिस फोर्स, इसी दिन शाम तक फोर्स को पहुंच जाना था गढ़वा, लेकिन प्लान के उलट रास्ते में ही एक स्थान पर रात में पूरी पुलिस फोर्स के रुकने का फैसला क्यों लिया गया?

पुलिस टीम के प्लान के उलट रुकना नक्सलियाें के टारगेट में आने की वजह तो नहीं रही?

अगले दिन 26 जून को भी रुके स्थान से निकलने में किया गया विलंब, लौटते वक्त आरओपी भी नहीं लगाया?

दोनों जिले के एसपी के साथ पूरी टीम के नाइट हॉल्ट की पूरी जानकारी तक पुलिस मुख्यालय को नहीं थी?

प्लान के विपरीत बूढ़ा पहाड़ इलाके में ऑपरेशन का नेतृत्व करनेवाले लातेहार के एसपी प्रशांत आनंद और गढ़वा की एसपी शिवानी तिवारी ने करीब 80 पुलिसकर्मियों के साथ नाइट हॉल्ट क्यों किया?

नाइट हॉल्ट करने की स्थिति में पुलिस टीम नक्सलियों के टारगेट में आ जाती है. फिर क्यों नहीं पुलिस के लौटने वाले रास्ते में सुरक्षा के तहत आरओपी लगाये गये?

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