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न्यायालय का समयसीमा को लेकर आदेश केवल अपील से जुड़े मामलों पर लागू: सीबीआईसी

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नयी दिल्ली– केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने स्पष्ट किया है कि उच्चतम न्यायालय ने कर संबंधित मामलों के लिये जो समयसीमा बढ़ायी है वह करदाताओं के लिये केवल अपील से जुड़े मामलों को लेकर है यह आदेश माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत किसी अन्य अनुपालन या आकलन पर लागू नहीं होगा सभी प्रधान मुख्य आयुक्तों और महानिदेशकों को लिखे पत्र में उच्चतम न्यायालय के आदेश के लागू होने को लेकर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत समयसीमा के संदर्भ में कानूनी राय मांगी थी, सीबीआईसी ने कहा, ”शीर्ष अदालत ने जो समयसीमा बढ़ायी है, वह केवल याचिकाओं/आवेदनों/मुकदमों/अपील/अन्य सभी कार्यवाही से संबंधित अर्ध-न्यायिक और न्यायिक मामलों पर लागू होती है। न्यायालय का समयसीमा बढ़ाने का कदम अपीलों/मुकदमों/याचिका आदि को लेकर केवल न्यायिक और अर्ध-न्यायिक कार्यवाही के संदर्भ में है। यह समयसीमा सीजीएसटी अधिनियम के तहत हर कार्रवाई या कार्यवाही के लिए नहीं बढ़ायी गयी है।

कर अधिकारी अगर रिफंड के लिये आवेदन, पंजीकरण रद्द करने के आदेश को समाप्त करने से जुड़ी अर्जी आदि जैसे मामलों में अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में कार्य कर रहे हैं वे उन मामलों को निपटाना जारी रख सकते हैं।

इसी प्रकार जो अपीलें दायर की गई हैं और लंबित है उनकी सुनवाई और निपटान जारी रखा जा सकता है और वे सांविधिक या अधिसूचनाओं के जरिये दिए गए समय विस्तार के अनुसार काम करेंगे।

ऐसे मामलों में जहां किसी भी अर्ध-न्यायिक आदेश के खिलाफ संयुक्त / अतिरिक्त आयुक्त (अपील), आयुक्त (अपील), एडवांस रूलिंग के लिये अपीलीय प्राधिकरण, न्यायाधिकरण और विभिन्न अदालतों के समक्ष कोई अपील दायर करने की आवश्यकता है या जहां किसी आदेश में संशोधन या सुधार के लिए कार्यवाही की जरूरत है उसके लिए समयसीमा न्यायालय के आदेश के अनुसार बढ़ाई जाएगी।

सीबीआईसी ने कहा कि न्यायालय का आदेश जीएसटी कानून के तहत कार्यवाही पर लागू नहीं होगा।

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के अनुसार यह स्पष्टीकरण शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए व्यापक विस्तार को सीमित करेगा और इससे कर अधिकारी लंबित मामलों में तेजी ला सकते हैं।