Home Government Scheme सुप्रीम कोर्ट ने ‘राजद्रोह कानून’ की वैधता और दुरुपयोग को लेकर उठाये...

सुप्रीम कोर्ट ने ‘राजद्रोह कानून’ की वैधता और दुरुपयोग को लेकर उठाये सवाल, केंद्र सरकार को भेजा नोटिस

21
0

सुप्रीम कोर्ट ने 75 साल पहले लागू राजद्रोह कानून (Sedition Law) को अभी तक जारी रखने को लेकर गंभीर सवाल उठाये हैं। एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते याचिका दायर की थी। उसी पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि यह कानून ब्रिटिश सरकार ने देश की आज़ादी के मांग कर रहे लोगों की आवाज दबाने के लिए बनाया था। क्या आजादी के 75 साल बाद भी इस कानून की जरूरत है? सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केन्द्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है। CJI एनवी रमना (CJI NV Ramana) की अध्यक्षता वाली पीठ ने अंग्रेजों के जमाने से लागू इस कानून के दुरूपयोग पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अथॉरिटी इन धाराओं का गलत इस्तेमाल कर रही है। अब अन्य लंबित याचिकाओं के साथ इस याचिका पर भी सुनवाई होगी।

इस याचिका में क्या है?

रिटायर्ड मेजर-जनरल एसजी वोमबटकेरे की तरफ से दायर इस याचिका में कहा गया है कि राजद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए पूरी तरह असंवैधानिक है, और इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की दलील है कि ये कानून अनुच्छेद 19(1) (ए) के तहत दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर ‘डरावना प्रभाव’ डालता है और यह बोलने की आजादी के मौलिक अधिकार पर अनुचित प्रतिबंध लगाता है। याचिका में ये भी कहा गया है कि राजद्रोह की धारा 124-ए को देखने से पहले, समय के आगे बढ़ने और कानून के विकास पर गौर करने की जरूरत है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ कर रही है, जिसमें चीफ जस्टिस एनवी रमना के अलावा जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश राय शामिल हैं।