कोरोना काल ने लोगों की सोच और जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डाला है। बदले हुए दृष्टिकोण का असर शादियों पर भी पड़ा है। कई जगह तो विज्ञान और परंपराओं का अच्छा मेल देखने को मिल रहा है। कुल मिलाकर कहें तो सतर्कता बढ़ी है। विवाह योग्य युवा अब जीवनसाथी की तलाश में भी यह सजगता दिखा रहे हैं। बड़े-बुजुर्ग जहां वर-वधू की खोज में नैन-नक्श, आचरण, गुण व कुंडली के मिलान में जुटे हैं, वहीं युवा अब अपने होने वाले जीवनसाथी की स्वास्थ्य रिपोर्ट भी मांग रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के बाद यह सतर्कता और भी बढ़ी है। युवा चाहते हैं कि अपने होने वाले जीवनसाथी के बारे में वह आनुवांशिक बीमारियों की हिस्ट्री से लेकर डायबिटीज, हृदय रोग, किडनी संबंधी रोग, कोरोना की हिस्ट्री, एचआइवी समेत सभी बीमारियों के बारे में भी जानें, ताकि जिनके साथ पूरी जिंदगी बिताने जा रहे हैं, उनके गुण-दोष के साथ-साथ बीमारियों से भी अवगत रहें। रांची की रहनेवाली अनुजा सोनी और उनके पति ने एक ही क्षेत्र में काम करने की सहूलियत को देखकर शादी की, लेकिन उनकी शादी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई।
अनुजा कहती हैं कि अगर पहले से मेडिकल रिपोर्ट देख लेतीं तो शायद आज जिंदगी का रंग कुछ और होता। एमबीए कर निजी संस्थान में कार्यरत संध्या रानी बताती हैं कि उनके माता-पिता ने एक जगह उनकी शादी पक्की कर दी थी, लेकिन उन्होंने इस शादी से इन्कार कर दिया। कारण एक मेडिकल रिपोर्ट बनी, जिसमें लड़के के शरीर में खून की कमी है और हिमोग्लोबिन का स्तर कम होने की बात थी। सही ढंग से शरीर में खून नहीं बन पा रहा था। वहीं कुछ और विसंगतियां भी दिखीं, जो आगे के स्वस्थ जीवन के लिए सही नहीं था।
संध्या और अनुजा जैसी लड़कियों की संख्या समाज में धीरे-धीरे बढ़ रही है, जो यह चाहती हैं कि उनका भविष्य सुरक्षित रहे और वैवाहिक जीवन सुखमय हो। दोनों ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने तय कर लिया है कि जिस किसी से भी शादी करेंगे, पहले उनकी पूरी मेडिकल रिपोर्ट देखी जाएगी, ताकि भविष्य में किसी बीमारी की वजह से उनका जीवन बर्बाद न हो।
कई युवाओं और अभिभावकों का मानना है कि कई बार शादी इसलिए टूट जा रही है कि लड़के या लड़की की बीमारियों को छुपाकर रिश्ते तय कर दिए जा रहे हैं। ऐसे में अगर पहले से ही सबकुछ स्पष्ट रहेगा तो शादियां कम टूटेंगी।
लाइफ स्टाइल भी जिम्मेदार
जीवनशैली में तेजी से आ रहे बदलाव के दौर में ऐसे युवाओं की संख्या भी अच्छी-खासी है, जिन्हें सिगरेट या शराब की लत है। इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। इतना ही नहीं, मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने की वजह से युवक-युवतियां हमेशा तनाव में रहते हैं। वर्तमान समय में कई लोगों की नौकरी भी छूट गई है। आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा के बूते जिन लोगों ने तनाव का प्रबंंधन कर लिया, वह तो ठीक हैं, लेकिन बड़ी संख्या में युवा दबाव व तनाव की वजह से अवसाद सहित कई मानसिक बीमारियों की भी चपेट में आ रहे हैं।
इसकी जानकारी भावी पति या पत्नी को भी देनी ही चाहिए। इस तरह की बीमारियां छिपाने वालों का जीवन दुख और कलह से भरा होता है। कई बार विवाद की वजह से ऐसे रिश्ते टूट जाती हैं। शुगर और ब्लड प्रेशर जैसी कॉमन बीमारी भी लोगों के रिश्ते तोड़ रही है। ऐसे में युवा पीढ़ी के इस फैसले को अच्छा ही माना जाना चाहिए।
केस स्टडी
मेडिको छात्रा दिव्या कुमारी ने कहा कि उनके परिजन कुंडली मिलाकर शादी तय कर रहे थे। कोरोना काल की स्थितियों को देखकर लड़के की मेडिकल रिपोर्ट देखी गई। हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर व शुगर की बीमारी को देखकर शादी से इन्कार कर दिया।
‘मैंने फैसला किया है कि मेडिकल जांच के बाद ही अपने जीवन साथी का चुनाव करेंगे। ताकि उसकी मानसिक एवं शारीरिक स्थिति का पता पहले ही चल जाए और आगे इसका असर हमारे रिश्तों पर न पड़े।’ –कुमारी सुगंधा।
‘बीमारी की वजह से पड़ोसी और रिश्तेदारी में रिश्तों को टूटते देखा है। इसलिए जन्मकुंडली के साथ-साथ दोनों की मेडिकल रिपोर्ट का मिलान करना जरूरी है। इससे वंशानुगत बीमारियों का भी पता चल जाता है।’ –आकृति श्री।
‘नए समय में कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। कई बार इसे छुपाकर शादी कर दी जाती है। इससे लड़की या लड़के का जीवन बर्बाद हो सकता है। इससे बेहतर है कि दोनों युवा नए जीवन की शुरुआत में ही मेडिकल रिपोर्ट की नींव पर रिश्ते बनाएं।’ –अपराजिता भारद्वाज।
‘एक स्वस्थ पार्टनर का चुनाव करना बहुत ही बेहतर कदम है। मेडिकल रिपोर्ट से काफी हद तक पहले से ही बीमारियों के बारे में पता चल जाएगा। कई बीमारियां लाइलाज नहीं होती है, उनका इलाज है। रिश्तों की बुनियाद सही होनी चाहिए। एक-दूसरे के बारे में पूरी जानकारी हो जाना अच्छी बात है। इससे बाद में भ्रातियां नहीं रहती है।