नई दिल्ली: अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने इंडिया ग्लोबल फोरम में अपने संबोधन के दौरान स्वच्छ ऊर्जा पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस लक्ष्य के प्रति समूह की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा, भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना जारी रखेगा।
अपने वीडियो संबोधन में एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यवसायी गौतम अडानी ने भारत के ऊर्जा उत्पादन का 40 प्रतिशत उत्पादन नॉन फॉसिल फ्यूल (गैर-जीवाश्म ईंधन) और आत्मानिर्भर भारत पहल के जरिए से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के प्रति अडानी समूह की प्रतिबद्धता को भी दोहराया।
गौतम अडानी ने कहा-प्रतिष्ठित नेताओं, मैं 2021 इंडिया ग्लोबल फोरम में निमंत्रण के लिए मनोज और टीम को धन्यवाद देकर शुरू करता हूं। इतनी शख्सियतों के के साथ एक कार्यक्रम में बोलना वास्तव में एक सम्मान की बात है।
उन्होंने कहा, भारत की ऊर्जा यात्रा को देखते हुए इसकी शुरुआत COP 21 पेरिस शिखर सम्मेलन के साथ हुई। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा जोड़कर गैर-जीवाश्म ईंधन से अपनी स्थापित क्षमता का 40 प्रतिशत उत्पन्न करेगा। हमारे वन क्षेत्र को कम से कम 2.5 बिलियन टन कार्बन डाइ ऑक्साइड को अवशोषित करने के लिए बढ़ाया जाएगा।
गौतम अडानी ने आगे कहा, ये उस समय के साहसिक कदम थे। आज, ठीक छह साल बाद तथ्य यह है कि भारत एकमात्र प्रमुख राष्ट्र है जो 2030 के लिए निर्धारित COP 21 जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों में से अधिकांश को प्राप्त करेगा, निर्धारित समय से आठ साल पहले। अडानी ने कहा, पीएम मोदी ने अब 2030 तक 450 गीगावाट का लक्ष्य बढ़ा दिया है।
हालांकि, क्लाइमेट जस्टिस का अर्थ यह भी होना चाहिए कि विकसित लोगों की भलाई विकासशील की कीमत पर नहीं हो। उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है कि उन्नत देशों के लिए काम करने वाली ‘आउट-ऑफ-द-बॉक्स’ योजनाएं और तरीके 1.4 बिलियन भारतीयों के लिए काम नहीं करेंगे।
अडानी ने आगे कहा, विकसित और विकासशील देशों को संयुक्त रूप से ऐसे उपाय करने चाहिए जो समान विकास की अनुमति दें और सभी के लिए एक स्वच्छ भविष्य सुरक्षित करें। एक देश का सपना दूसरे देश के लिए चुनौती नहीं बनना चाहिए। मेरे विचार से विकसित देशों को इसे समान रूप से बेहतर ढंग से समझना चाहिए।
क्रिकेट के उदाहरण का उपयोग करते हुए उन्होंने कहा, जो अडानी समूह को केवल भारत के सबसे बड़े थर्मल पावर के रूप में देखते हैं, वे मैच नहीं बल्कि केवल शुरुआती ओवर देख रहे हैं। उन्होंने कहा, हम महसूस करते हैं कि हमें कार्बन निर्भरता से दूर ऊर्जा के पर्यावरण के अनुकूल स्रोतों की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने आगे जोड़ा, “हमें इस बात का हमेशा ख्याल रखना होगा कि पर्यावरण के लिए हमारी आवाज, उन हजारों लोगों की आकांक्षाओं को ना कुचले जो बिजली की कमी से जूझ रहे हैं। हालांकि हम भारत में ऊर्जा उपयोगिता के सबसे बड़े संघटित मंच हैं, लेकिन हमारे नए बुनियादी ढांचों का निर्माण अक्षय ऊर्जा पर केंद्रित है।
हमने यह रास्ता न केवल कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को संतुलित बनाए रखने के लिए, बल्कि जिम्मेदारी के साथ ऊर्जा के इस परिवर्तन को जल्दी संभव करने के लिए भी चुना है। 2015 में हमने जिस यात्रा को शुरू किया था, उस पर चलते हुए 2020 में हम दुनिया की सबसे बड़ी सौर कंपनी बन गए। और पिछले महीने, हमने तय समय से पूरे चार साल पहले 25 गीगावाट के अपने नवीकरणीय लक्ष्य को प्राप्त किया।
हमारी हरित ऊर्जा शाखा 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा कंपनी बनने की राह पर है। मैं विश्व की ऐसी किसी अन्य संस्था के बारे में नहीं जानता, जिसने अडानी समूह के जितनी तेजी से ऊर्जा नवीनीकरण की दिशा में कदम बढ़ाएं हों।
इसके अलावा, हमारे ऊर्जा संतुलन के कार्य में एक प्रमुख तत्व; गैस- एलएनजी और एलपीजी (दोनों)- भी है जो भारत को बहुआयामी और स्वच्छ ऊर्जा संसर्ग करने में सक्षम बना रहा है। एक गैस आधारित अर्थव्यवस्था न सिर्फ स्थिरता के मोर्चे पर फायदेमंद है, बल्कि यह भारत को मूल्यवान विदेशी मुद्रा बचाने में भी मदद करती है और कई राष्ट्रव्यापी लाभ भी देती है, जिनमें- स्वास्थ्य जोखिमों को घटाना, अनुप्रयोगों का दायरा व्यापक और स्वच्छ बनाना, ऊर्जा दक्षता और परिवहन क्षमता बढ़ाना शामिल है।”
अडानी के शब्दों में, “इसके अलावा, आत्मनिर्भर भारत, के एक हिस्से के तौर पर, हम अब अपनी सौर सेल और मॉड्यूल निर्माण क्षमता को दोगुना करते हुए 4 गीगावाट तक बढ़ा रहे हैं और अपने नवीकरणीय ऊर्जा व्यवसाय के लिए घरेलू उत्पाद तंत्र का विस्तार कर रहे हैं, जिसमें मुंद्रा में स्थापित एक नया पवन टरबाइन निर्माण क्लस्टर शामिल है।
एक स्थायी भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता इस तथ्य से प्रमाणित होती है कि किसी भी अन्य भारतीय व्यापारिक घराने ने स्वच्छ ऊर्जा और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में उतना निवेश नहीं किया है जितना सक्रिय रूप से – और नियमित रूप से हमने किया है।
ये स्थायी निवेश निश्चित रूप से हमारे हितधारकों के लिए भुगतान किया गया है। जनवरी 2020 के बाद से, हमारे अक्षय ऊर्जा कारोबार का मूल्य 600 गुना से अधिक बढ़ गया है, जिससे पूरे शेयर बाजार में सबसे अच्छा रिटर्न मिल रहा है।”
अडानी ने आगे कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि अडानी समूह के विभिन्न व्यवसाय न केवल भारतीय जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों के साथ जुड़े हैं, बल्कि शून्य उत्सर्जन की दिशा में वैश्विक अभियान के साथ भी जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए, हमारे बंदरगाह सक्रिय रूप से विज्ञान और जलवायु से संबंधित वित्तीय प्रकटन, जल संरक्षण और जैव विविधता के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र और भारत की सतत पहल का समर्थन करते हैं।
हमारे बंदरगाह कार्बन न्यूट्रल बनने और शून्य अपशिष्ट छोड़ने, सिर्फ एक बार उपयोग में आने वाले प्लास्टिक को प्रतिस्थापित करने के साथ ही 2025 तक 5,000 हेक्टेयर से अधिक वनीकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा मानना है कि दुनिया में कहीं भी किसी अन्य बड़े मल्टी-पोर्ट व्यवसाय ने इस तरह की खास व स्थिर योजनाओं की रूपरेखा तैयार नहीं की है।
वैश्विक स्थिरता अभियान के साथ यह संरेखण हमारे नए उपक्रमों में और भी अधिक स्पष्ट दिखता है। जो भी नया व्यवसाय हम तैयार कर रहे हैं वह इन लक्ष्यों को साथ लेकर चलता है- चाहे वह अक्षय ऊर्जा द्वारा संचालित डेटा केंद्रों का नेटवर्क हो, चाहे वह स्नेम (Snam) और टेक्निमोंट (Tecnimont) के साथ मिलकर ग्रीन हाइड्रोजन अन्वेषण हो या फिर प्रमुख वैश्विक भागीदारों के साथ मिलकर चलाई जा रही ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाएं हों।
अंत में, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि अडानी समूह ऐसी प्रौद्योगिकियों में निवेश जारी रखना चाहता है और हमारे ईएसजी (ECG) लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कदम उठाना चाहता है। हम बहुत सतर्कता और संतुलन के साथ हमारे ऊर्जा परिवर्तन को कार्बन-पॉजिटिव से कार्बन-न्यूट्रल और आगे कार्बन-नेगेटिव में बदलेंगे। हम जिन अक्षय परियोजनाओं का निर्माण कर रहे हैं, और जिन्हें हमने पहले तैयार कर लिया है, वे हमें इस बात का पूरा विश्वास दिलाती हैं।
इस तरह के बदलावों को घरेलू जरूरतों के हिसाब से आकार देना होगा – और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि न केवल आने वाला दिन और ज्यादा स्पष्ट हो, बल्कि आज का दिन दिन ढलने तक हमने जो गति निर्धारित की है, उससे भी कोई समझौता नहीं हो।”