क्वाड की शुरुआत 2007 में जापान (Japan) के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे और भारत (India) के पीएम मनमोहन सिंह ने की थी. इसकी स्थापना एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना करने के लिए की गई थी.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden), ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) और जापान पीएम योशिहिडे सुगा (Yoshihide Suga) शुक्रवार को क्वाड मीटिंग में शामिल होने जा रहे हैं. खास बात है कि चारों देशों के क्वाड समूह की पहली बैठक होगी. चारों लीडर वर्चुअल तरीके से इस चर्चा में शामिल होंगे. माना जा रहा है कि इस मुलाकात में चारों राष्ट्रों के बीच कोरोना वायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) और सुरक्षा समेत कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. आइए समझते हैं कि क्या है क्वाड्रिलेटरल ग्रुप ऑफ नेशन्स की मीटिंग और इसके मायने क्या हैं.
क्या है क्वाड्रिलेटरल सिक्युरिटी डायलॉग?
क्वाड की शुरुआत 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे और भारत के पीएम मनमोहन सिंह ने की थी. इसकी स्थापना एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना करने के लिए की गई थी. हालांकि, साल 2008 में सिंह ने कहा था कि भारत, चीन के खिलाफ किसी भी तरह के प्रयासों में शामिल नहीं है. इसके बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया ने खुद को समूह से अलग कर लिया था. इसके बाद साल 2017 में ASEAN सम्मेलन के दौरान यह समूह एक बार फिर सामने आया. शुक्रवार को 2017 में हुई नई शुरुआत के बाद चारों राष्ट्र पहली बार मुलाकात कर रहे हैं.
इस बैठक से क्या उम्मीद कर सकते हैं?
अनुमान लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में सुरक्षा की स्थिति से लेकर देशों के बीच आर्थिक सहयोग और पर्यावरण संकट पर चर्चा की जा सकती है. अमेरिकी प्रशासन के अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि समूह भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए आर्थिक व्यवस्था की घोषणा कर सकता है. खास बात है कि बैठक में मोदी और बाइडन दोनों मौजूद रहेंगे. हालांकि, इसे लेकर अभी तक कोई खबर नहीं है कि दोनों प्रमुखों के बीच अलग से बैठक होगी.
चीन क्या कह रहा है?
क्वाड मीटिंग की खबर पर चीन ने भी प्रतिक्रिया दी है. चीन का कहना है कि उसे उम्मीद है कि यह चर्चा क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए होगी, न कि इसके ‘विरोध’ में. भारत की तरह ही चीन भी वैक्सीन कूटनीति में लगा हुआ है. ऐसे में देश ने दावा किया है कि ये वैक्सीन राष्ट्रवाद और वैक्सीन सहयोग के राजनीतिकरण के विरोध में है.