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बिलासपुर : मैनपाट में निवासरत तिब्बतियों ने की स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से मुलाकात, भेंट की दलाई लामा की लिखी पुस्तक…

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बिलासपुर।  सरगुजा के मैनपाट में निवासरत तिब्बती शरणार्थियों की समस्याओं का वर्षों से निराकरण करने हमेशा तत्पर रहने वाले छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से तिब्बतियों के केंद्रीय प्रशासन ने मुलाकात की। पदाधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात कर मैनपाट में आ रही समस्याओं से अवगत कराया। मैनपाट की बदलती आबोहवा पर भी चर्चा की।

तिब्बतियों ने स्थानीय स्तर पर आ छोटी-छोटी समस्याओं के निराकरण का आग्रह भी किया है। स्वास्थ्य मंत्री ने तिब्बतियों से कहा है कि वर्षों से वे सभी मैनपाट में रह रहे हैं। मैनपाट की जलवायु वहां का वातावरण आप सभी के अनुकूल हो चुका है। समय के साथ थोड़ा परिवर्तन आया है उसमें आप सभी रचे-बसे। स्वास्थ्य मंत्री ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर यहां की संस्कृति कला को भी सीखने का आह्वान किया है।

आने वाले मैनपाट महोत्सव में भी तिब्बतियों की सहभागिता हो इस पर भी स्वास्थ्य मंत्री ने चर्चा की है। मैनपाट की प्रतिनिधि सुश्री तेनजिंग ढडन व स्थानीय तिब्बती प्रशासन, मैनपाट के अध्यक्ष संजय तेनजिन ने उपहार स्वरुप तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की पुस्तक भेंट की। धर्मगुरु दलाई लामा के पुस्तक प्राप्त कर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि यह मेरे लिए सुखद अनुभूति है कि मुझे धर्मगुरु दलाई लामा की पुस्तक पढ़ने का अवसर मिलेगा। इस दौरान मैनपाट में तिब्बती समुदाय के द्वारा संज्ञान में लाई गई समस्याओं के निराकारण की प्रतिबद्धता स्वास्थ्य मंत्री ने व्यक्त की।

कम हुई है मैनपाट में तिब्बतियों की संख्या

तिब्बतियों को 1962 में उनके अनुकूल जगह मैनपाट में बसाया गया था। कुछ वर्षों तक तिब्बती पूरे परिवार के साथ सात अलग-अलग कैंपों में रह रहे थे। अब उनकी नई पीढ़ियों ने मैनपाट छोड़ दिया है। सभी देश के दूसरे प्रांतों में व महानगरों की ओर अध्ययन-अध्यापन व व्यवसाय के सिलसिले में जा चुके हैं। अधिकांश बुजुर्ग तिब्बती जो यहां निर्वाचित होकर आए थे वही निवासरत हैं।

शुरुआती दिनों में यहां तिब्बतियों की संख्या लगभग ढाई हजार थी, जो अब घटकर लगभग 1000 में सिमट गई है। इतने वर्षों में यहां तिब्बतियों ने खेती की नई तकनीक भी अपनाया और स्थानीय किसानों को भी बेहतर खेती करके दिखाया जिससे प्रोत्साहन मिला। मैनपाट में टाउ, सरसों और आलू की खेती तिब्बती करते हैं।