बिलासपुर। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने अंबिकापुर शहर में स्वच्छता के लिए कार्य कर रहीं 457 महिलाओं को नए साल में बड़ी सौगात दी है। महिलाओं का एक-एक हजार मानदेय बढ़ाने की बड़ी घोषणा कर दी है। आज सुबह राजधानी रायपुर रवाना होने से पहले उनके निवास पर अंबिकापुर स्वच्छ मिशन फेडरेशन से जुड़ी महिला पदाधिकारी एवं सदस्यों ने मेयर इन कौंसिल के सदस्य स्वच्छता प्रभारी शैलेंद्र सोनी शैलू के साथ मुलाकात की।
महिलाओं ने एसएलआरएम सेंटर की समस्याओं को अवगत कराने के साथ मानदेय बढ़ाने की गुहार लगाई तो स्वास्थ्य मंत्री ने तत्काल महापौर डॉ अजय तिर्की म, श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष व लोक निर्माण विभाग प्रभारी सफी अहमद को बुलाकर चर्चा की। महिलाओं का मानदेय एक-एक हजार बढ़ाने की तत्काल व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश के बाद महिलाओं में भारी उत्साह है। वर्तमान में इन महिलाओं को 6000 मानदेय मिलता है। यह मानदेय महिलाएं खुद अर्जित करती हैं।
डोर टू डोर कचरा कलेक्शन से कबाड़ के रूप में जो सूखा कचरा मिलता है उसकी बिक्री और गीले कचरे से खाद बनाकर हो रही बिक्री के साथ घर-घर यूजर चार्ज से प्राप्त राशि से इन्हें मानदेय मिलता है। स्वास्थ मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा है कि यह मानदेय आपका ही है। आप सभी महिलाएं खूब मेहनत करें और यूजर चार्ज की वसूली बढ़ाएं। ठोस कचरे व गीले कचरे की बिक्री उसकी प्रोसेसिंग से मिलने वाले आय को बढ़ाएं। आप जितना अधिक काम करेंगी, आपका मानदेय उतना ही बढ़ेगा।
कचरा प्रबंधन से मिलने वाली आय पर आपका अधिकार है। अंबिकापुर शहर को स्वच्छता में कीर्तिमान दिलाने में आप ही महिलाओं का हाथ है। इसलिए आप जितना मेहनत करेंगे उतना आय अर्जित करेंगी। स्वास्थ्य मंत्री ने एसएलआरएम सेंटर में महिलाओं के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने का भी आश्वासन दिया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कुछ दिन पूर्व एमआईसी सदस्य स्वच्छता प्रभारी शैलू सोनी को हर रोज एसएलआरएम सेंटरों में विजिट करने कहा था।
लगातार एसएलआरएम सेंटर की व्यवस्था देखने एवं कमियों को जानने के बाद उन्होंने स्वच्छता कार्य में लगी महिलाओं की मांगो और समस्याओं को आज सुबह स्वास्थ्य मंत्री के राजधानी रवाना होने से पहले उनके निवास पर जाकर अवगत कराया और नए साल में महिलाओं को यह बड़ी सौगात मिल गई।
हजार रुपये मानदेय से शुरू हुआ था काम
अंबिकापुर शहर में वर्ष 2015 में कचरा प्रबंधन का काम शुरू हुआ था।पहले साल हजार रुपये मासिक मानदेय मिलता था। महिलाओं की मेहनत को देखते हुए सालाना मानदेय राशि बढाई गई और आज सात हजार रुपये मानदेय होने जा रहा है।