बिलासपुर। जमीन दलालों के साथ राजस्व अमले की मिलीभगत से शहर से लगे मुनुंद मार्ग में जमीन की अवैध प्लाटिंग जारी है। जमीन दलाल अभी भी खेतों को अवैध रूप से टुकड़ों में प्लाटिंग कर लोगों को महंगे दामों पर बेच रहे हैं और राजस्व अमला हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। इससे एक बात स्प्ष्ट है कि जमीन दलालों की राजस्व अमले से सांठगांठ है। यही वजह है कि जमीन दलालों को नोटिस देने के बाद राजस्व अमले ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय जांजगीर में जमीन दलालों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वे अपने फायदे के लिए नियमो की अनदेखी कर रहे हैं। राजस्व अमले की लापरवाही से मुनुंद मार्ग में बड़े पैमाने पर कृषि भूमि में अवैध ‘प्लाटिंग हो रही है। खास बात यह है कि इन प्लांटों के लिए कोई रास्ता नहीं है। ऐसे में जमीन खरीदने वालों के आंखों में धूल झोंकने के लिए सरकारी भूमि से रास्ता निकाल दिया गया है। इधर, अवैध प्लाटिंग के जाल में फंसकर कई लोग ठगे गए हैं। लगातार खबरें आने जे बाद राजस्व अमला नींद से जागा और छानबीन शुरू की गई।
जांजगीर एसडीएम मेनका प्रधान एवं जांजगीर तहसीलदार प्रकाश साहू की संयुक्त टीम मौका मुआयना करने के लिए मुनुंद रोड पहुंची, जहां जमीन की नापजोख की गई। इस दौरान मौके से बगैर अनुमति कई पेड़ कटे हुए पाए गए, जिसके बाद खेतों में अवैध प्लाटिंग करने वालों को मौके पर बुलवाया गया और उनसे इस संबंध में पूछताछ की गई तथा मौके का पंचनामा तैयार कर संबंधितों को नोटिस जारी की गई। बताया जा रहा है कि जमीन दलालों ने नोटिस का संतोसप्रद जवाब नहीं दिया है, इसके बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अब तक एक भी कार्रवाई नहीं
जमीन दलालों के वायदे और झूठे कागजात के फेर में फंसकर जमीन और मकान खरीदने वाले लोगों को बाद में खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। सैकड़ों लोग डायवर्सन व एनओसी के लिए महीनों से कलेक्टोरेट व नगरपालिका दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। जमीन दलालों के झांसे में आए लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। इसके बावजूद जिला प्रशासन, जिले में तेजी से बढ़ रहे अवैध प्लाटिंग के कारोबार को रोकने कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। प्रशासन ने जमीन दलालों के खिलाफ एक भी कार्रवाई नहीं की है।
किसी के पास अनुमति नहीं
छत्तीसगढ़ भू-राजस्व अधिनियम के तहत कृषि भूमि को आवासीय भूमि के रूप में तब्दील करने के लिए ग्राम एवं नगरीय निवेश विभाग से अनुमति लेनी होती है। इस विभाग के अधिकारी भूमि की उपयोगिता जांचकर अनुमति देते हैं लेकिन अधिकारीकारी मौके पर पहुंचकर मुआयना करना जरूरी नहीं समझ रहे हैं।
यह यह दस्तावेज हैं जरूरी
0 कालोनाइजर पंजीयन प्रमाण पत्र,भूमि रजिस्ट्रीकरण या ऋण पुस्तिका
0 बी-1 एवं खसरा
0 पांच साला की नकल
0 ले-आउट में प्लाट की स्थिति
0 नगरपालिका या एसडीएम से कालोनी विकास समिति की अनुमति
0 नगरीय क्षेत्रों में डायवर्सन प्रमाण पत्र
0 अन्य क्षेत्रों के लिए एसडीएम से जारी डायवर्सन पत्र