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तालाबों के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रदेश सरकार की सरोहर धरोहर योजना नाकाम ,बदल पाई जांजगीर के तालाबों की तस्वीर, यह है हालत…

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बिलासपुर।  तालाबों के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रदेश सरकार की सरोहर धरोहर योजना नाकाम साबित हो रही है। जल जंगल जमीन जैसी अनुपम धरोहर को बचाने के राज्य सरकार की यह योजना महज कागजों में सिमट कर रह गई। जमीनी स्तर पर इस योजना का बुरा हाल है। तालाबों को संरक्षण देने की यह योजना पूरी तरह फ्लाप हो गई है। जांजगीर नगर पालिका के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण नगर व गांव के तालाबों का बुरा हाल है।

नगर पालिका जांजगीर नैला में करीब दर्जनभर तालाब है। नगर के सबसे बड़े तालाब भीमा सहित नैला में स्थित दो बड़े तालाबों से नगर की निस्तारी होती है। पूर्व में तालाबों की स्थिति काफी अच्छी थी, लेकिन वर्तमान में भीमा को छोड़कर सारे तालाब गंदगी से पटे हुए हैं। नगर पालिका की ओर से तालाब की सफाई को लेकर ढिढोंरा पीटा जा रहा है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। इन तालाबों में नगर की नालियों का पानी छोड़ा जा रहा, वहीं तालाब जलकुंभी से पटा है। नाली का गंदा पानी तालाब में छोड़े जाने से तालाब का पानी दूषित हो रहा है, वहीं सफाई को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर भी उंगलियां उठने लगी है।

तालाबों की सफाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसे लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। तालाब में नाली का गंदा पानी पर रोक लगाने के साथ अन्यत्र निस्तारी की मांग नगर पालिका व प्रशासन से की गई है। नगर प्रशासन ने इस दिशा में अब तक पहल नहीं की है। तालाबों को संवारने के लिए शासन द्वारा सरोवर धरोहर योजना चलाई जा रही है लेकिन इस योजना के बाद भी तालाबों को संवारने का काम नहीं किया जा सका। केवल पिछले पंचवर्षीय में भीमा तालाब को संवारने के लिए जनप्रतिनिधियों ने शासन से 8 करोड़ रुपये की मांग की थी। शासन से राशि स्वीकृत होने के बाद भीमा का सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है।