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कृषि विधेयक पर राजनीति: चौबे ने कहा- कोर्ट में देंगे चुनौती, कौशिक बोले- किसानों के हक में हुआ बड़ा फैसला

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संसद में पेश कृषि विधेयक का छत्तीसगढ़ में जहां बीजेपी ने स्वागत किया है वहीं राजनीतिक दलों के साथ ही किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है। 25 सितंबर को किसान विरोध प्रदर्शन करेंगे। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि यह किसानों के हित में नहीं है। इससे मंडी का ढांचा खत्म होगा, जो किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए लाभप्रद नहीं है।

किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। चौबे ने उनकी सरकार इसे कोर्ट में चुनौती देगी। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि अब किसानों को फसल का सही दाम मिलेगा क्योंकि वे ज्यादा दाम मिलेगा वहां बेच सकेंगे। केंद्र ने किसानों के हक और हित में फैसला किया है। दूसरी तरफ, जोगी कांग्रेस ने फारमर्स बिल को एमएसपी (समर्थन मूल) के सुरक्षा कवच से किसानों को वंचित करने और कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र करार दिया है। प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद भारत के किसान ईस्ट इंडिया कंपनी जैसे बड़े-बड़े विदेशी कार्पोरेशन की गुलामी करने पर फिर मजबूर हो जाएंगे।

अमित ने छत्तीसगढ़ के किसानों पर दुष्प्रभाव की चर्चा कराने के लिए राज्य सरकार से तत्काल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा ने कहा कि एक राष्ट्र एक बाजार नीति की घोषणा करके मोदी सरकार ने एक बार फिर किसानों को मल्टीनेशनल कंपनियों का गुलाम बनाने की दिशा में कदम उठा लिया है। सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है कि जहां ज्यादा पैसा मिलेगा वहां किसान अपनी उपज को बेच सकेगा।

जो किसान अपनी फसल को बमुश्किल मंडी या सहकारी समितियों तक ला कर समर्थन मूल्य पर बेच पाता है।क्या अपनी उपज को अन्य शहरों या प्रदेशों में ले जाकर बेच पाएगा? बिस्सा ने कहा की बात यहीं पर आकर नहीं थमती आने वाले समय में इसका सीधा दुष्प्रभाव यह पड़ेगा कि एमएसपी की व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। बिस्सा ने कहा की किसान शोषण का शिकार ना हो जाए इसलिए न्यूनतम मूल्य निर्धारित किए गए थे। जिसको वह अपनी समीप की मंडी में बेच सकता था। आने वाले समय में यह प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। जोगी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने भी इसका विरोध किया है। उन्होंने इस विधेयक के छत्तीसगढ़ पर पड़ने वाले असर को लेकर चर्चा करने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।