चीन लगातार भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है और पाकिस्तान इस पूरे खेल में उसका पार्टनर बना हुआ है. एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हाल के दिनों में सीपीईसी के तहत 11 अरब डॉलर के और प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन प्रोजेक्ट्स की आड़ में चीन में भी सैन्य अड्डा बना रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के तहत जहां ड्रैगन पाकिस्तान में 87 अरब डॉलर के निवेश कर रहा है, वहीं चुपके से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगिट इलाके में पाकिस्तानी सेना की मदद से सैन्य ठिकाना बनाने में लगा हुआ है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस सैन्य अड्डे और अन्य प्रोजेक्ट से भारत का ध्यान हटाने के लिए ही चीनी सेना लगातार लद्दाख में आक्रामक कार्रवाई कर रही है. चीन सीपीईसी के तहत पाकिस्तान में 87 अरब डॉलर की मदद से बंदरगाह, सड़कें, रेलवे और पॉवर प्लांट बना रहा है. हालांकि उसका मकसद दक्षिण एशिया की महत्वपूर्ण जगहों पर सैन्य अड्डे स्थापित करना है.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन का मकसद मलक्का स्ट्रेट पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए ग्वादर पोर्ट के रास्ते दुनिया को सामानों की निर्यात करना है. चीन को हमेशा यह डर बना रहता है कि मलक्का स्ट्रेट में भारत और अमेरिका उसके लिए संकट का सबब बन सकते हैं. इसीलिए उसने अपनी पूरी ताकत पाकिस्तान में एक आधुनिक सैन्य अड्डे को बनाने में लगा दी है.
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हाल के दिनों में सीपीईसी के तहत 11 अरब डॉलर के और प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी है. इनमें से कई चीनी प्रॉजेक्ट पीओके में चलाए जाने हैं. स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी प्रशासन भले ही इस बात का खंडन करता हो लेकिन उसने चुपके से चीनी सेना को अपने ग्वादर और गिलगित बाल्टिस्तान के सैन्य ठिकानों को इस्तेमाल करने का अधिकार दे दिया है.
बता दें कि गिलगित विवादित पीओके में आता है जो कि भारत का हिस्सा है. चीन ग्वादर और गिलगित दोनों ही जगहों पर अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है. इस अरबों डॉलर के प्रॉजेक्ट में पाकिस्तानी सेना भी जमकर पैसा बना रही है. पाकिस्तानी सेना के संगठन फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन को सीपीईसी से जुड़े कई ठेके मिले हैं
चीन का अगला प्रोजेक्ट कराकोरम हाइवे को अपग्रेड करना है जो चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से जोड़ता है. चीन इस पर ही करीब दो अरब डॉलर खर्च कर रहा है. बता दें कि यह रोड चीन के लिए रणनीतिक लिहाज से बेहद अहम है.
भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव के बीच चीन और पाकिस्तान ने आपस में अरबों डॉलर का समझौता किया है. पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर के कोहोला में 2.4 अरब डॉलर के हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट के लिए यह समझौता हुआ है. यह प्रॉजेक्ट बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है जिसके जरिए यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच कमर्शल लिंक बनाने का उद्देश्य है.
पाकिस्तान की सरकार ने सोमवार को कश्मीर के सुधानोटी जिले में झेलम नदी पर आजाद पट्टान हाइड्रो प्रॉजेक्ट का ऐलान किया. यह बांध चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का हिस्सा है. इस प्रॉजेक्ट को कोहाला हाइड्रोपावर कंपनी ने डिवेलप किया है जो चीन की तीन गॉर्गेज कॉर्पोरेशन की इकाई है.
इससे पहले पीओके विवादित क्षेत्र होने के नाते विश्व बैंक ने आर्थिक सहायता देने से मना कर दिया था. अब पाकिस्तान चीन की मदद से इसे पूरा कर रहा है. पीओके में दाइमेर-भाषा बांध के विरोधियों और पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे चीन को गिलगित-बाल्टिस्तान में अपने सैनिकों को लाने का एक कारण दे देगा.
पीओके में चीनी सेना के आने से भारत के खिलाफ पाकिस्तान की स्थिति और ज्यादा मजबूत हो जाएगी. कुछ विश्लेषकों का यहां तक कहना है कि चीन पाकिस्तान में सैन्य ठिकाने से महज एक कदम दूर है. विशेषज्ञों का कहना है कि पीओके में चीनी निवेश भारत को जानबूझकर दिया गया झटका है. इससे भारत और चीन के बीच और ज्यादा तनाव बढ़ेगा.