छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामले 50 हजार पार हो गए हैं। मंगलवार को 2834 नए मरीजों के साथ प्रदेश में अब तक 50116 लोग संक्रमित हो चुके हैं। नवा रायपुर स्थित प्रदेश के मंत्रालय में कोरोना जांच कैंप में पहले दिन 22 कर्मचारी समेत राजधानी में 629 नए केस सामने आए हैं। मंत्रालय और एचओडी बिल्डिंग में पिछले 10 दिन में 80 से ज्यादा पाॅजिटिव मिल चुके हैं। प्रदेश में 69 मरीजों की जान भी गई है, जिसमें पिछले 24 घंटे में 12 की मौत हुई है। पिछले 24 घंटे में 615 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया है। अब तक 22792 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं, जबकि 26915 एक्टिव केस हैं। प्रदेश में कोरोना का पहला मरीज मिलने के बाद से अब तक यानी 175 दिन में मौतों का आंकड़ा 400 के पार हो गया है। इनमें से अधिकांश मौतें जुलाई से अब तक महज दो-सवा दो महीने में हुई हैं। हेल्थ विभाग के अनुसार राज्य में मिले नए मामलों में रायपुर के बाद सबसे ज्यादा बिलासपुर में 359, राजनांदगांव में 240, दुर्ग में 231 व रायगढ़ में 103 केस मिले हैं।

50 हजार कोरोना मरीज यानी 0.17 फीसदी आबादी चपेट में
2011 की जनगणना के मुताबिक 2.87 करोड़ की आबादी वाले हमारे राज्य में मरीजों की संख्या का 50 हजार पर पहुंचने का मतलब है कि 0.17 फीसदी आबादी का कोरोना संक्रमित हो जाना। ये तादाद भी करीब सात लाख टेस्ट हो जाने के बाद निकली है। राहत इस बात को लेकर जरूर हो सकती है कि सात लाख टेस्ट में केवल 7.14 टेस्ट ही पाजिटिव रहे हैं। जबकि 92.85 फीसदी जांच रिपोर्ट निगेटिव आई हैं। हालांकि पिछले लगभग एक माह से औसतन 25 से 35 फीसदी तक रिपोर्ट पाॅजिटिव निकल रही हैं।
जांच के बाद ऐसी लापरवाही: 29 अगस्त को टेस्ट हुआ, 8 सितंबर को मरीजों ने खुद पता लगाया वे पॉजिटिव हैं
शहर में बेकाबू होते कोरोना के बीच जांच में लगे अमले की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। पिछले कुछ दिन में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें 10-12 दिन में लोगों को मोबाइल पर मैसेज या काॅल आया कि वे पाॅजिटिव हैं। पॉजिटिव होने का पता इतनी देरी से चलने पर दो बातें हो रही हैं। या तो मरीज खुद ठीक होने लगता है, या फिर संक्रमण जानलेवा हो जाता है। भास्कर पड़ताल से पता चला कि शहर में 29 अगस्त को कोविड जांच करवाने वाले कुछ युवाओं ने 8 सितंबर को खुद पता लगाया कि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सोमवार को देर शाम फोन आने के बाद उनके घर में कोविड सेंटर से एंबुलेंस उन्हें लेने पहुंची। इसी तरह 45 साल का एक शख्स टेस्ट करवाने के चार-पांच दिन बाद खुद को निगेटिव मान बैठा। 15 दिन बाद रिपोर्ट पाॅजिटिव वाली आई। भास्कर के पास ऐसे 21 मामले हैं, जिनमें जांच करवाने के 4 से 10 दिन के बीच लोगों को बताया गया कि वे पाॅजिटिव या निगेटिव हैं।
नियम : जांच के बाद रिपोर्ट आने तक क्वारेंटाइन रहे व्यक्ति, पर यह नियम नहीं कि रिपोर्ट कब भेजना जरूरी
शहर में ही लैब से शिविर की दूरी 5 किमी, सैंपल पहुंचा तीन-चार दिन बाद
शहर में जगह जगह जांच शिविर लगवाकर कोरोना टेस्ट सैंपल कलेक्ट करने के बाद लैब में जांच के लिए तीन से चार दिन बाद तक पहुंचाए जा रहे हैं। भास्कर के पास ऐसे लोगों की जानकारी है जिन्होंने केवल लैब के पांच किलोमीटर के दायरे में प्रशासन और हेल्थ विभाग के कैंप में अगस्त के महीने में जांच करवाई उनकी रिपोर्ट सितंबर में पहुंची। दरअसल, किसी भी लैब में सैंपल पहुंचने के बाद टेस्ट के लिए उसे आमतौर पर उपलब्धता (तकनीशियन और मशीन दोनों की) 24 से 48 घंटे के भीतर तक टेस्ट के लिए लगाया जाता है। लैब तक अगर सैंपल सही समय पर पहुंचे तो ये जांच के लिए सैंपल को जल्दी लगाया जा सकता है। कई कई दिन इस प्रक्रिया में ही अब लग रहे हैं। पड़ताल में पता चला है कि इसमें लैब की गलती ही नहीं है क्योंकि उसे तो जब भी सैंपल मिलेगा वो वहां तब ही काम शुरु होगा।
केस 1
3 दिन इंतजार किया, 10 दिन में रिपोर्ट आई कि पाॅजिटिव
34 साल के युवक प्रीतम कुमार (बदला हुआ नाम) जांच करवाने के बाद तीन दिन तक वो तनाव में रहे रिपोर्ट क्या आएगी? फिर जब फोन नहीं आया तो बेफिक्र हो गये घर के सारे लोग और साथ काम करने वाले भी खुश थे कि कुछ नहीं निकला। लेकिन अचानक दस दिन बाद ये पता चलना कि वो पॉजिटिव है? इस दौरान जो लोग संपर्क में आए थे, सब टेंशन में हैं।
केस 2
सैंपल लेकर डंप, लैब पहुंचने में कई बार लगे पांच-पांच दिन
भास्कर पड़ताल में पता चला है कि रायपुर जिले को करीब 2400 प्लस टेस्ट करने का टारगेट मिला है। इसमें सभी तरह के कोरोना टेस्ट एंटीजन, आरटीपीसीआर और ट्रू-नाट जांच शामिल है। इस टारगेट को लैब की जांच क्षमता का ध्यान रखे बिना ही थोक में कर दिया जा रहा है़। पता तो यह भी चला है कि सैंपल रख लिए जा रहे हैं और चार-पांच दिन में लैब पहुंचाए जा रहे हैं।
यह गंभीर मामला
“यह अति गंभीर मामला है। यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। मरीज तक रिपोर्ट पहुंचनी चाहिए, कोई बहुत बड़ी लापरवाही हुई है। एंटीजन की तुरंत और आरटीपीसीआर में 12 से 24 घंटे में रिपोर्ट मिल जानी चाहिए। मैं पूरे मामले की जानकारी लेता हूं।”
-टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री
न मदद, न चेतावनी और न दूसरों से उम्मीद, खुद को बचाएं कोरोना का जब संक्रमण शुरू हुआ तब छत्तीसगढ़ के लोग सुकून की स्थिति में थे। कई दूसरे राज्यों की तुलना में शुरुआती दिनों में छत्तीसगढ़ में कम मरीज मिले। लॉकडाउन समाप्त होते ही जैसे ही सबकुछ अनलॉक हुआ। हम खुद भी निडर हो गए। बाजार में हो या फिर और कोई सार्वजनिक जगह। हम सब निश्चिंत हो गए हैं। जीवन रुकना नहीं चाहिए। लॉकडाउन जैसा तो बिल्कुल भी नहीं। इसलिए सबकुछ अब नार्मल किया जा रहा है। लगभग सारे प्रतिबंध वापस ले लिए गए हैं। पर हमारे लिए सतर्क होने का समय तो वास्तव में अब आया है। जब कोरोना का संक्रमण पीक पर है। आने वाले दिनों में इसके और तेजी से बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में हमें अपने आपको संक्रमण से बचाने के लिए खुद ही सोचना होगा। सरकारी सिस्टम की जितनी सीमाएं हो सकती थीं, वे तो अपनाई जा रही हैं। उसकी भी एक सीमा है। अब अपने सेहत की चिंता करते हुए हमें व्यावहारिक सोच अपनाना होगा। अपने लिए बचाव के हरसंभव उपायों के साथ खुद को रखना होगा। किसी से उम्मीद करना या नाराजगी जताने का समय अब शायद नहीं है। खुद बचिए। अपनों को बचाइए।