भारत और चाइना विवाद की चर्चा हर तरफ है। जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अमित जोगी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में सक्रिय चीनी कंपनियां यहां से मुनाफा कमाकर चाइना की आर्मी और माओवादी संगठनों को फायदा पहुंचा रही हैं। प्रदेश में चाइना के जासूस सक्रीय हैं। इन खुलासों के साथ ही मामले में अमित जोगी ने एनआईए और सेबी से जांच की मांग की है। यह बातें अमित जोगी ने रायपुर के अपने निवास में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहीं।
चीन और छत्तीसगढ़ का संबंध
अमित जोगी ने कहा कि भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने 18 अगस्त को चीन की आर्मी से जुड़ी 7 कंपनियों के नाम चिन्हित किए जो वर्तमान में व्यवसाय की आड़ में चीन के लिए जासूसी कर रही हैं। एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए अमित ने कहा कि 28 अगस्त को प्रकाशित रिपोर्ट में चीनी सेना के लिए जासूसी कर रही कम्पनियों ने भारत में सबसे अधिक 3000 मिलियन यूएस डॉलर से भी ज़्यादा का निवेश छत्तीसगढ़ राज्य में स्टील, सिमेंट और ऊर्जा के क्षेत्र में किया है। मेरी जानकारी के अनुसार आज भी छत्तीसगढ़ में 113 चीनी नागरिक वर्क परमिट वीजा पर प्रदेश में जासूसी का काम कर रहे हैं।
अमित के मुताबिक छत्तीसगढ़-चीन नेक्सस की शुरुआत 10 दिसंबर 2005 (तब प्रदेश में डॉ रमन सिंह की सरकार थी ) से होती है। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने चीन की राजधानी बीजिंग के शनग्रिला होटल में “जिंग-जिंग कैथे इंटरनेशनल ग्रुप कंपनी लिमिटेड” कंपनी के मालिकों से मुलाकात की थी। कंपनी ने ब्लैक स्टोन एशिया ड्रेगन फंड के माध्यम से एक भारतीय कंपनी के साथ छत्तीसगढ़ में 1000 करोड़ की डकटाइल पाइप बनाने की फैक्ट्री लगाई।
2011 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने उत्तर बस्तर के घोर नक्सली क्षेत्र में इस कंपनी को तीन लाख मैट्रिक टन प्रति वर्ष की क्षमता की लोहे की खदान आवंटित की। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार यहां ये माओवादियों और चाइना आर्मी के बीच मध्यस्थता का काम भी करती है, जिसका प्रमाण जनवरी 2014 में भारी मात्रा में नक्सलियों से बरामद चीनी हथियार हैं। इस कम्पनी का सबसे बड़ा ठेका धमतरी ज़िले के एक कांग्रेसी नेता और कांकेर जिले के एक भाजपा के नेता के पास है।