देशभर के पेयजल में केमिकल की मात्रा लगातार बढ़ रही है। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो केमिकल से बैक्टिरिया काफी कम पाया जा रहा है। केंद्र सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के जल शक्ति मिशन के तहत राज्यों के लिए गए पेयजल के नमूनों की जांच से यह बात सामने आई है। पश्चिम बंगाल के पानी में न केवल सबसे ज्यादा केमिकल बल्कि बैक्टिरिया भी ज्यादा पाया गया है। पेयजल में केमिकल की अधिकता वाले दर्जनभर राज्यों में छत्तीसगढ़ भी शामिल हैं। जल शक्ति मिशन के तहत घरेलू नल कनेक्शन, सार्वजनिक नल और अन्य जल स्रोतों से पेयजल के सैंपल लेकर उनकी नियमित जांच कराई जाती है। हर राज्य से जल स्रोत और नमूने की संख्या के साथ यह जानकारी भेजी जाती है कि कितने नमूने में मापदंड से अधिक केमिकल और बैक्टिरिया मिला है।
पश्चिम बंगाल के अलावा आंध्रप्रदेश, असम, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के पेयजल की स्थिति चिंताजनक है। आंध्रप्रदेश, असम, गुजरात, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के पानी में बैक्टिरिया की मात्रा भी मापदंड से ज्यादा मिली है। केमिकल और बैक्टिरिया प्रभावित पेयजल तो उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु का भी है।
उद्योगों और सीवरेज ने बढ़ाया प्रदूषण
विशेषज्ञों और अधिकारियों का कहना है कि पानी में केमिकल और बैक्टिरिया पाए जाने का कारण उद्योग और सीवरेज है। छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदियों में उद्योगों और सीवरेज का पानी सीधे पहुंचता है। हालांकि अब राज्य सरकार ने सीवरेज के पानी को साफ करके नदियों में छोड़ने की दिशा में प्रयास शुरू किया है। पांच जीवनदायिनी नदियों सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना बनी है।
बिलासपुर में मिला ज्यादा केमिकल
– छत्तीसगढ़ के जिलों में बिलासपुर का पेयजल सबसे ज्यादा केमिकल वाला पाया गया है।
– बस्तर, बेमेतरा, बीजापुर, जांजगीर-चांपा, जशपुर, कोरबा, मुंगेली, रायगढ़, रायपुर जिले का पेयजल भी केमिकल की अधिकता के कारण चिंता में डालने वाला है।
– बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, जांजगीरचांपा तो औद्योगिक क्षेत्र हैं, लेकिन बस्तर, बीजापुर जैसे वनांचलों का पानी भी केमिकल की अधिकता वाला मिल रहा है। यह शोध का विषय है।
– रायपुर जिले के लोगों के लिए घातक यह है कि पेयजल में केमिकल के साथ बैक्टिरिया भी दूसरे जिलों से ज्यादा पाया जा रहा है।
– केंद्र सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के जल शक्ति मिशन के तहत राज्यों के लिए गए पेयजल के नमूनों की जांच से यह बात सामने आई है।