दंतेवाड़ा जिले के पोटाली में पुलिस कैंप के विरोध में चल रहा आंदोलन मंगलवार को अचानक हिंसक हो गया। दोपहर बाद कैंप के पास ऐसी परिस्थितियां बनी कि पुलिस जवानों को भीड़ को काबू करने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ गई। बस्तर में किरंदुल में 1975 के गोलीकांड के बाद यह पहला मौका था जब भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी हों। इधर दंतेवाड़ा एसपी ने आंदोलन के संबंध में दो टूक शब्दों में कहा कि ग्रामीण यहां नक्सलियों के कहने पर आंदोलन कर रहे है। उन्होंने बताया कि पोटाली व इसके पास की चार-पांच पंचायतों में नक्सली अपना ठिकाना बनाते हैं। कैंप खुलने के बाद नक्सलियों को इलाका छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है पोटाली में कैंप के अलावा , बुरगुम, नहाड़ी, गुमियापाल, रेवाली में भी चार नये कैंप खोले जायेंगे।
सूत्रों के अनुसार पोटाली कैंप का विरोध आदिवासी शुरू से ही कर रहे हैं लेकिन सोमवार को कैंप में जवानें को तैनात किया गया इसके बाद आदिवासियों का यहां अांदोलन तेज हुआ। सोमवार को दिनभर आंदोलनकारी कैंप के सामने ही विरोध स्वरूप डटे रहे। इसके बाद मंगलवार की सुबह यहां ग्रामीण फिर से जुटने शुरू हुए इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। इसी बीच दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव और कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा यहां पहुंचे। इसी दौरान कलेक्टर ने विरोध-प्रदर्शन करने वाले लोगों से बातचीत की और उन्हें समझाया।
1975 में किरंदुल में गोलीकांड के बाद पहला मौका जब भीड़ को नियंत्रित करने चलाई गईं गोलियां
सोनी सोरी बोलीं- खुशी है कि आज जनता अपनी लड़ाई खुद लड़ रही
हवाई फायर की घटना के बाद सोनी सोरी ने कहा कि ग्रामीणों के आंदोलन से वे बेहद खुश हैं। बस्तर में हमेशा आदिवासियों को आंदोलन के लिए एक नेता की जरूरत रही है लेकिन पोटाली में ग्रामीण अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे हैं और उन्हें किसी नेतृत्व की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले मैं आंदोलन के नेतृत्व के लिए जाती थी तो पुलिस मुझ पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाती थी लेकिन अब जनता स्वस्फूर्त ही आंदोलन कर रही है।
2007 के बाद से नहीं पहुंच पाया शासन-प्रशासन
इधर पोटाली को धुर नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है एक तरह से यह नक्सलियों का गढ़ है। यहां वर्ष 2007 के बाद शासन-प्रशासन पहुंच नहीं पाया है और इलाके में सरकारी योजनाएं तो दम तोड़ चुकी हैं। यही नहीं इस इलाके में नक्सलियों के वर्चस्व को इस बात से समझा जा सकता है कि नक्सलियों ने 12 साल पहले पोटाली, नहाड़ी और बुरगुम के आश्रमों को तोड़कर अरनपुर से पोटाली तक जाने वाली सड़क को ही बंद कर दिया था।
अफसर बोले- नजूल की जमीन पर खुला है कैंप
इधर गांव वालों का कहना है कि पुलिस कैंप गांव की जमीन पर खोला जा रहा है ऐसे में इसका विरोध किया जा रहा है जबकि एसपी अभिषेक पल्लव ने स्पष्ट किया कि जिस स्थान पर कैंप खोला गया है वह नजूल की जमीन है और इस पर किसी का मालिकाना हक या कब्जे जैसी बात नहीं है।