छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में बेहतर कल गढ़ने के लिए कुछ अनूठा काम किया जा रहा है। कुछ जिलों में ऐसे अफसर हैं, जो अपनी सोच, कुछ अलग आयडिया से लोगों के साथ मिलकर इसे बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। सूरजपुर में एक तरफ घर में पहुंचाकर पेंशन दी जा रही है तो दूसरी तरफ निजी गाड़ियों की मदद से गांवों में एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। बलरामपुर में देसी बीज से खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए बीज बैंक बनाया गया है, जिसमें फसल के बाद बीज लौटाकर लोन चुकाया जा सकता है। धमतरी में स्कूलों का स्तर सुधारने के लिए उन्हें हरे, पीले व लाल रंग से चिन्हांकित किया जा रहा है।
महासमुंद में नवजीवन के जरिये लोगों को डिप्रेशन व सुसाइड जैसे घातक कदम से बाहर निकाला जा रहा है। बस्तर में महिलाएं हर बड़ा काम कर सकती हैं, यह साबित करने के लिए विधानसभा, लोकसभा व उप चुनाव से जुड़े हर बड़े काम की जिम्मेदारी उन्हें ही दी गई। कोरबा के गांवों में चौपाल चलाई जा रही है जिसमें लोगों की समस्या व समाधान की जानकारी के लिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग हो रही है। बीजापुर में बच्चों का कुपोषण दूर करने 100 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों में सब्जी वाटिका बना दी गई। मुंगेली में विशेषज्ञ विषयों के शिक्षकों की कमी को देखते हुए पढ़े-लिखे बेरोजगारों को शिक्षा मित्र बनाया गया है। कोरिया जिले में लोगों को सड़क हादसे से बचाने के लिए कलेक्टर हेलमेट पहने वालों को सम्मानित करने का अभियान चला रहे हंै।
- 693 निजी गाड़ियां बनीं हेल्थ दूतसूरजपुर जिले के गांवों को एंबुलेंस सुविधा देने के लिए निजी गाड़ियों की मदद ली जा रही है। कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि जिले में 108 व महतारी एंबुलेंस मिलाकर सिर्फ 12 ही वाहन हैं जो नाकाफी हैं। इसे देखते हुए जिले के गांवों से 693 निजी वाहनों को एंबुलेंस के रूप में जोड़ा गया है, जो अब इमरजेंसी पर संबंधित गांव के मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाते हैं। उन्हें प्राइवेट की तरह किराया नहीं दिया जाता है बल्कि एक मानदेय देते हैं जो शासकीय अस्पताल के स्तर पर 200 से 500 रुपए तक है। रात में मरीजों को पहुंचाने पर 100 रुपए अधिक देते हैं। इसके अलावा जुलाई-अगस्त से बुजुर्गों व पेंशनधारियों के घर पेंशन का पैसा पहुंचाना शुरू किया गया है। जिले के 56800 हितग्राहियों के पास पेंशन मितान जाते हैं और उन्हें गांव-घर में पैसा देते हैं। पहले बुजुर्गों को 350-400 रुपए पेंशन के लिए 15-20 किमी दूर बैंक आना पड़ता था। आज महीने की 1 से 10 तारीख के बीच सभी को पेंशन मिल जाती है।और पढ़ें
- आत्महत्या से बचा रहा नवजीवनमहासमुंद जिले में डिप्रेशन व तनाव में सुसाइड करने वालों की संख्या प्रदेश में सबसे ज्यादा रही है। देश में छत्तीसगढ़ का चौथा स्थान है। यहां के कलेक्टर सुनील जैन ने पिछले 4-5 महीने के दौरान इस पर रिसर्च कराया कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। पाया कि सुसाइड करने वालों में किसान ही नहीं युवा, पढ़े-लिखे नौजवान, छात्र भी हैं। 15 साल से लेकर 80 साल तक का व्यक्ति ऐसा कर रहा है। इस समस्या को खत्म करने के लिए नवजीवन पहल शुरू कि गई। इसका उद्देश्य था कि कैसे भी लोगों को सुसाइड से बचाना, उनकी समस्या को जानना था। जिले में स्कूल-कॉलेज के शिक्षकों, मितानिन, एनजीओ के साथ अन्य को ट्रेनिंग दी गई। इसके अलावा अलग-अलग गांव के 1000 से ज्यादा लोग इसमें नवजीवन सखा-सखी बने और लोगों को इससे बाहर निकालने लगे। आज 550 से ज्यादा नवजीवन केंद्र बनाए गए हैं, जहां लोगों के बैठने के साथ उनके टाइम पास के लिए कैरम, चेस के साथ किताबें उपलब्ध कराई गईं हैं।जहां वे आ सकते हैं। इसके अलावा मेंटल ट्रीटमेंट से जुड़े देश के बड़े अस्पतालों व आस्ट्रेलिया से भी डॉक्टरों की टीम बुलाकर लोगों को जागरूक किया गया है। सखा-सखी बने लोगों से तनाव व डिप्रेशन में रहने वाले लोग अपनी बातें व समस्या शेयर करते हैं, उन्हें दूर करने के साथ समझाईश दी जाती है। अभी तक इस पहल से 10 से ज्यादा लोगों को सुसाइड करने से बचाया जा चुका है। और पढ़ें
- देसी बीज के लिए बनाया बैंकबलरामपुर में हाईब्रिड बीजों से खराब हो रही जमीन व खेती के नुकसान को लेकर एक पहल की गई है। यहां सीड बैंक (बिहन बैंक) के जरिए लोगों को फसल-खेती के लिए देसी बीज लोन पर दिया जाता है और फसल के बाद ही बीज के तौर पर ही लोन लौटाया जाता है। यहां के कलेक्टर संजीव झा ने बताया कि हाईब्रिड बीज से जमीन की उर्वरक शक्ति खत्म होने के साथ दोबारा यह बीज उपयोगी साबित नहीं हो रही थी। इसे लेकर हमने यहां जिले के अलग-अलग गांवों में सीड बैंक बनाया है। इसमें लोगों से ही देसी बीज कलेक्ट किया जाता है और उन्हें ही उनकी जरूरत का बीज लोन के तौर पर दिया जाता है। कोई पैसा या शुल्क नहीं लेते हैं, बल्कि इसमें यह नियम बनाया गया है कि जो बीज किसान खेती-किसानी के लिए लिया है, उसकी फसल के बाद जितना बीज लिया था, उसका 20 फीसदी ज्यादा लौटाएगा। जिससे कि वह आगे किसी और को काम आ सके। इसका अच्छा असर भी दिखाई दे रहा है और काफी डिमांड में है। और पढ़ें
- स्कूलों की गुणवत्ता सुधारीधमतरी जिले में 1325 सरकारी स्कूलों जिनमें प्राथमिक व माध्यमिक पाठशाला शामिल है, उन्हें लेकर परख अभियान चलाया जा रहा है। यहां के कई स्कूलों की दशा व स्थिति बहुत खराब थी, इससे दर्ज बच्चे भी स्कूल नहीं आते थे। धमतरी कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि जुलाई माह से यहां के सभी सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता, स्थिति, रखरखाव, शिक्षक व छात्रों की उपस्थिति जांचने के लिए यह परख अभियान चलाया जा रहा है। इसमें 880 प्राथमिक और 445 माध्यमिक स्कूलों में जिले के 81 संकुल समन्वयक 40 बिंदुओं के आधार पर उनकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। पहले महीने जुलाई में 152 स्कूल उच्च श्रेणी में थे 81 से 100 अंक के साथ, जिन्हें ग्रीन रंग मिला। उसके बाद सितंबर माह में ऐसे स्कूलों की संख्या 607 हो गई, जो इस कैटगरी में पहुंचे। स्कूलों की तीन श्रेणी में ग्रेडिंग क जा रही है। 81 से 100 को उच्च (हरा), 50 से 80 मध्यम (पीला) और उससे नीचे को निम्न श्रेणी (लाल) में रखा गया है। और पढ़ें
- पेड़ के नीचे गांव में समाधानबालोद जिले में प्रशासन तंत्र को गांव तक पहुंचाने को लेकर एक अच्छी पहल की जा रही है। यहां की कलेक्टर रानू साहू ने बताया कि पिछले ढाई महीने से हर 15 दिन में एक बार जिला प्रशासन के पूरे अफसर, जिसमें कलेक्टर, एसपी, एसडीएम, डीईओ, तहसीलदार समेत अन्य अधिकारी-कर्मचारी जिले के किसी भी एक गांव में बस में एक साथ जाते हैं। वहां पेड़ के नीचे चौपाल लगाकर लोगों की समस्या सुनी जाती है और उसका समाधान किया जाता है। इतना ही नहीं पूरे गांव में पूरा सरकारी अमला घूमकर जायजा लेता है कि आखिर क्या-क्या परेशानी व कमी है। किसी में पटवारी के सालों से नहीं आने तो किसी में शिक्षक की अनुपस्थिति संबंधित कई शिकायतें मिलती है, उस पर तत्काल कार्रवाई की जाती है। इस पहल से गांव के लोगों में जिला प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है और उन्हें लगने लगा है कि अफसर उनकी बात सुनने उनके घर तक आ रहे हैं। अब तक 5 गांवों में यह ग्राम भ्रमण किया जा चुका।और पढ़ें
- टीचरों की कमी दूर कर रहे शिक्षा मित्र, घर तक पेंशनमुंगेली जिले के कई सरकारी हाई स्कूल व हायर सेकंडरी स्कूलों में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी समेत अन्य कठिन विषयों के शिक्षकों की कमी है, जिसे युवा पढ़े-लिखे नौजवानों को शिक्षा मित्र बनाकर पूरी की जा रही है। कलेक्टर भूरे सर्वेश्वर नरेन्द्र ने बताया जिले में इस कमी के बारे में जानकारी मिलने पर इस सत्र से इसे दूर करने को लेकर योजना बनाई। जिले के ऐसे युवक जो पढ़-लिखे हैं और बेरोजगार हैं, उन्हें प्रोत्साहित करते हुए 115 शिक्षा मित्रों की भर्ती कर उन्हें विषय विशेषज्ञ की कमी वाले स्कूलों में भेजा। उन्हें जिला प्रशासन की तरफ से मानदेय भी दिया जा रहा है। इससे छात्रों में काफी सुधार देखा गया है। इसके अलावा जिले में ही नगद मितान सेवा शुरू की गई है, जिसमें इससे जुड़े युवा संबंधित हितग्राही को घर जाकर उसके पेंशन का भुगतान करते हैं।और पढ़ें
- महिलाओं ने संभाली चुनाव की जिम्मेदारीबस्तर में पिछले एक साल के दौरान हुए तीन बड़े चुनावों में महिलाओं ने अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। कलेक्टर तंबोली अय्याज ने बताया कि हमने गणना पर्यवेक्षक, गणना सहायक, डाक मतपत्र गणना व माइक्रो आब्जर्वर की जिम्मेदारी महिलाओं को ही दी। प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2018 में इस कामों में 126 महिला अधिकारी-कर्मचारी तैनात की गई। इसी तरह लोकसभा चुनाव 2019 में भी 126 महिलाकर्मी व हाल ही में हुए चित्रकोट उप चुनाव में भी 42 महिलाओं की तैनाती की गई थी। इस पहल का उद्देश्य उनके कामों को सम्मान देने के साथ उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देना था, जिसे उन्होंने साबित किया। इससे जिले की लड़कियां व महिलाकर्मी प्रेरित होती हैं और अच्छे काम व पढ़ाई के लिए आगे आती हैं। और पढ़ें
- नक्सल इलाके में 15 साल से बंद स्कूल खुलवाएसुकमा जिले में पिछले 14-15 साल से बंद सरकारी स्कूलों को शुरू किया गया है। कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जुगरगुंडा के आसपास के गांव में 150 से ज्यादा स्कूल बंद हो चुके थे, जिसमें से 70 से ज्यादा स्कूलों को अब तक शुरू किया जा चुका है। सलवा जुडुम के दौरान इन स्कूलों को नुकसान पहुंचाया गया था, तब से ये बंद थी। इस सत्र में यहां इन स्कूलों को गांववासियों की मदद से बनाया गया है और इसे चालू किया गया। यहां शिक्षक नहीं थे तो यहां के 12 वीं पास हो चुके लड़कों को प्राइमरी शिक्षा की ट्रेनिंग देकर उन्हें तैयार किया गया। उन्हें अब 11 हजार रुपए मानदेय दिया जा रहा है। इसके अलावा बच्चों के लिए कॉपी, बस्ता, पुस्तकें व मिड डे मील की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। और पढ़ें