बिलासपुर: विद्यार्थियों को कैरियर चयन करने के लिए 5 लोगों से बात करनी चाहिए। स्कूल में क्लास टीचर, कैरियर काऊंसिलर, घर के बुजुर्ग, क्षेत्र के अनुभवी व विशेषज्ञ और ऐसे व्यक्ति जो उस क्षेत्र में बरसों से कार्य करते हुए भी नाखुश है। यब बातें छत्तीसगढ़ के जाने माने कैरियर काऊंसिलर अजीत वरवंडकर ने कही। वे आज बिलासपुर के आईएमए हॉल में आयोजित सिक्ख पंजाबी विद्यार्थियों के लिए आयोजित कैरियर कांऊसिलिंग सेमिनार में विद्र्यार्थियों और उनके पालकों को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ सिक्ख आफिसर्स वेलफेयर एसोसियेशन व कोलंबिया ग्रुप आफ इस्टीट्यूशन्स रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। इस अवसर पर एसोसियेशन के संयोजक जी.एस. बाम्बरा, बिलासपुर संभाग के संयोजक डा. बी.एस. चावला, एसोसियेशन के अध्यक्ष एच.एस. धींगरा, अध्यक्ष एजुकेशन कमेटी प्रो. (डा.) बी.एस. छाबड़ा, कार्यक्रम के सम्नवयक डॉ. किरणपाल सिंह चावला, एसोसियेशन के सचिव सरदार बी.एस. सलूजा तथा कोलंबिया ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूशन्स, रायपुर के आशीष जॉन भी उपस्थित थे।
रुचि के अनुसार कैरियर का चुनाव करें
कैरियर निर्माण के क्षेत्र में कई वर्षे से कार्यरत अजीत वरवंडकर ने विद्यर्थियों के साथ ही उनके पालकों को कहा कि वे अपने बच्चों की रुचि के अनुसार उनके कैरियर निर्माण की दिशा में लगातार उनका मार्गदर्शन करे। कैरियर चुनाव में भविष्य के 10 सालों के बाद कैरियर कैसा होगा इस बारे में भी आंकलन और चिंतन करना चाहिए और विशेषज्ञों की राय भी लेना चाहिए। डॉ वरवंडकर ने उपस्थित पालको से कहा कि उन्हें छठवीं कक्षा से ही बच्चों के कैरियक के प्रति सजग हो जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि गणित विषय भले ही बच्चों को कठिन लगता है पर यह एक आसान विषय है। यदि बच्चा गणित में कमजोर है तो उसके गणित के ज्ञान के बेहतर करने के लिए किसी अच्छे शिक्षक की मदद लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कैरियर का चुनाव करते समय विद्यार्थियों को स्वयं से बार बार यह पूछना चाहिए कि वे आखिर यही विषय क्यों लें।
वर्तमान में 20% विधिवत शिक्षाऔर 80 % रुचि आधारित कैरियर
उन्होंने कहा वर्तमान में कैरियर निर्माण की मख्य रुप से दो दिशाएं है। पहला शिक्षा प्रप्त कर उसी क्षेत्र में कार्य किया जाए दूसरा प्रतिभा आधारित कैरियर। एक अध्ययन के अनुसार 20 प्रतिशत विद्यार्थी विधिवद शित्रा के आधार पर कैरियर बना रहे हैं तो वहीं 80 प्रतिशत विद्यार्थी अपनी रुचि और कौशल विकसित कर अपना कैरियर का निर्माण करते हैं। उन्होंने इसके कई उदाहरण दिए। इसमें उन्होंने फिल्मों के कलाकारों के संबंध में बताते हुए कहा कि कई फिल्म कलाकार ऐसे हैं जो काम तो फिल्मों में कर रहे है पर उनकी विधिवत शिक्षा किसी अन्य विषय़ में है।
जीवन की सफलता का सूत्र – बेहतर संवाद
डा. वरवंडकर ने कहा कि जीवन की सफलता के सबसे बड़ा सूत्र है कि आप दूसरों से कैसे संवाद करते हैं। संवाद के दौरान विषय की अच्छी जानकारी हो, आवाज और कथन स्पष्ट होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को हिन्दी के साथ ही राष्ट्रीय स्तर का एक अंग्रेजी समाचार पत्र भी जरूर पढ़ना चाहिए। सफलता पाने के बारे में उनका कहना था कि कोई भी कार्य बड़ी शिद्दत के साथ करना चाहिए तभी सफलता मिलती है।
घर में मोबाईल बास्केट का उपयोग हो
मोबाईल के साथ सोशल मीडिया पर घंटों समय बीताने की आदत के संबंध में डॉ. वरवंडकर ने कहा कि आज का दौर एक ऐसा समय है जब मोबाईल फोन हमारी आवश्यकता बन गया है। ऐसे समय में हम स्वयं के साथ ही बच्चों को मोबाईवल से दूर तो नहीं रख सकते पर हमें मोबाईल उपयोग के लिए अनुशासित होना ही पड़ेगा। इस हेतु उन्होंने कहा पालक और बच्चों को खाने खाते के समय अपना मोबाईल के बास्केट / टोकरी में रख देना चाहिए ताकि वे पूरे इत्मिनान से भोजन कर सके।
इस सेमिनार में एसोसियेशन के संयोजक जी.एस. बाम्बरा, ने छत्तीसगढ़ सिक्ख ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसियेशन व्दारा “सरबत दा भला के उद्देश्य से चिकित्सा, शिक्षा व पारिवारिक परामर्श की दिशा में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। एजुकेशन कमेटी के चेयरमैन प्रो (डा) .बी.एस. छाबड़ा ने आयोजन के संबध में कहा कि यहां आए पालकों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों इच्छा के अनुरुप उनका मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन करते रहें। सेमिनार में दिल्ली पब्लिक स्कूल, सेट. जेवियर स्कूल, अरपा वैली स्कूल, ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल, एचएसएम ग्लोबल पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी ने भाग लिया।
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निवेदक– डा. किरणपाल सिंह चावला, (मोबाईल नंबर – 9893056088)
समन्यवक बिलासपुर संभाग, छत्तीसगढ़ सिक्ख ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसियेशन.



