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“ऑपरेशन सिंदूर का सच! भारत ने UN में बताया- पाक सेना ने की थी संघर्ष रोकने की अपील, ट्रंप के सारे बयान झूठे?”

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेना ने लड़ाई बंद करने की “याचना” की थी। साथ ही, भारत ने ज़ोर देकर कहा कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच के मुद्दों में “किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है”।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के उत्तर देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा, “इस सभा में सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की बेतुकी नौटंकी देखने को मिली, जिन्होंने एक बार फिर अपनी विदेश नीति के केंद्र में रहे आतंकवाद का महिमामंडन किया।”

भारत बोला- ट्रंप नहीं, पाक सेना ने रोकी थी जंग, UN में झूठा शरीफ संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र की आम चर्चा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाषण के बाद, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की। दरअसल शरीफ ने अपने भाषण में कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों परमाणु-संपन्न देशों के बीच संघर्ष टालने में अहम भूमिका निभाई थी। पेटल गहलोत ने भारत के जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए यूएनजीए में कहा, ”इस सभा में सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का बेतुका बयान सुनने को मिला।

शरीफ ने UN में किया आतंकवाद का गुणगान शरीफ ने एक बार फिर आतंकवाद का गुणगान किया, जो उनकी विदेश नीति के केन्द्र में है।” शरीफ ने अपने संबोधन में कहा कि उनका देश भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों पर ”समग्र, व्यापक और परिणामोन्मुखी” वार्ता के लिए तैयार है। उन्होंने कश्मीर की स्थिति को लेकर भारत की आलोचना भी की। डोनाल्ड ट्रंप की प्रशंसा करते हुए शरीफ ने कहा कि उनके ”शांति प्रयासों ने दक्षिण एशिया में एक युद्ध को टालने में मदद की।”

भारत का पलटवार उन्होंने कहा, ”हमारे क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने में राष्ट्रपति ट्रंप के अद्भुत और उत्कृष्ट योगदान के लिए पाकिस्तान ने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के वास्ते नामित किया है। हम इतना तो कर ही सकते हैं… मुझे लगता है कि वह सचमुच शांति के प्रतीक हैं।” जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए एक आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने छह मई की देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था। भारत लगातार कहता आ रहा है कि संघर्ष रोकने पर सहमति, दोनों देशों की सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत के बाद ही बनी थी।

‘डीजीएमओ के बीच सीधी बातचीत से युद्ध विराम हुआ’ भारत लगातार यह कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम पर सहमति दोनों सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी।

गहलोत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस बात पर ज़ोर दिया कि 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने ही ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों के बर्बर नरसंहार की ज़िम्मेदारी से “बचाया” था।

उन्होंने कहा, “किसी भी स्तर का नाटक और किसी भी स्तर का झूठ तथ्यों को नहीं छिपा सकता।” पहलगाम हमले के बाद, 15 देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 25 अप्रैल को एक प्रेस बयान जारी किया था जिसमें सदस्यों ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया था।

पाकिस्तान टीआरएफ का नाम हटवाने में कामयाब रहा हालाँकि, प्रेस बयान में हमले के लिए ज़िम्मेदार समूह के रूप में टीआरएफ का ज़िक्र नहीं किया गया, क्योंकि पाकिस्तान नाम हटवाने में कामयाब रहा। उन्होंने कहा, “हमने ऐसी कार्रवाइयों के ख़िलाफ़ अपने लोगों की रक्षा करने के अधिकार का इस्तेमाल किया है और इसके आयोजकों और अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया है।” उन्होंने पाकिस्तान पर “आतंकवाद को फैलाने और उसका निर्यात करने” का आरोप लगाया और कहा कि उसे इस बारे में सबसे हास्यास्पद बातें फैलाने में कोई शर्म नहीं है। उन्होंने कहा, “याद करें कि उसने आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध में भागीदार होने का दिखावा करते हुए भी एक दशक तक ओसामा बिन लादेन को पनाह दी थी। उसके मंत्रियों ने हाल ही में स्वीकार किया है कि वे दशकों से आतंकवादी शिविर चला रहे हैं।”

आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों में कोई भेद नहीं: भारत उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जहाँ तक आतंकवाद का सवाल है, भारत यह स्पष्ट कर रहा है कि आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों में कोई भेद नहीं किया जाएगा।

गहलोत ने कहा, “दोनों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। न ही हम परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा देने की अनुमति देंगे। भारत ऐसी धमकियों के आगे कभी नहीं झुकेगा। दुनिया के लिए भारत का संदेश स्पष्ट है; आतंकवाद के प्रति कतई सहनशीलता नहीं होनी चाहिए।”

शरीफ की इस टिप्पणी पर कि उनका देश सभी लंबित मुद्दों पर भारत के साथ “समग्र, व्यापक और परिणामोन्मुखी” बातचीत के लिए तैयार है, गहलोत ने कहा कि अगर वह वाकई ईमानदार हैं, तो रास्ता साफ है।