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“जलवायु परिवर्तन से जाएंगी लोगों की नौकरियां, होगा भारी आर्थिक नुकसान! इस रिपोर्ट ने सबको चौंकाया”

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विश्व आर्थिक मंच (WEF) और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की एक साझा रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभीर चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले 25 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया को लगभग 1.5 लाख करोड़ डॉलर (करीब 131 लाख करोड़ रुपये) तक का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।

यह नुकसान मुख्य रूप से खाद्य और कृषि, निर्माण, और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों में होने वाला है। इसके साथ ही लोगों की जॉब्स पर भी खतरा देखने को मिलेगा।

कई क्षेत्रों पर गहरा असर इस रिपोर्ट में खास तौर पर चार क्षेत्रों – खाद्य एवं कृषि, निर्मित पर्यावरण, स्वास्थ्य सेवाएं, और बीमा क्षेत्र – पर जलवायु परिवर्तन के असर का विश्लेषण किया गया है।

खाद्य और कृषि क्षेत्र: जलवायु परिवर्तन से फसलों की पैदावार में कमी आ सकती है, जिससे किसानों और खाद्य उद्योग को बड़ा नुकसान होगा। इस क्षेत्र में अकेले लगभग 740 अरब डॉलर के नुकसान की आशंका है।

निर्मित पर्यावरण: अत्यधिक तापमान और प्राकृतिक आपदाएं इमारतों, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे को प्रभावित करेंगी। इससे लगभग 570 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।

स्वास्थ्य और देखभाल: बढ़ते तापमान से स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जैसे हीट स्ट्रोक, सांस की बीमारियां और पानी से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि। इसका आर्थिक बोझ 200 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

बीमा क्षेत्र: अधिक स्वास्थ्य दावों और आपदाओं के कारण बीमा कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। इससे बीमा पॉलिसियों की लागत और दावे दोनों में तेजी से वृद्धि हो सकती है।

Climate Change Threatens Jobs: कामगारों की नौकरियों पर खतरा

रॉकफेलर फाउंडेशन के स्वास्थ्य उपाध्यक्ष नवीन राव के अनुसार, गर्मी बढ़ने से लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में आ गई हैं। भारी गर्मी में काम करना मुश्किल होता जा रहा है, जिससे खासकर गरीब और निम्न आय वर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं। कई परिवार गरीबी की ओर धकेले जा रहे हैं।

कंपनियों के लिए चेतावनी और अवसर रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों को अभी से तैयार रहना होगा। उन्हें अपने कर्मचारियों की सेहत की रक्षा करने, अपने संचालन में लचीलापन लाने और उत्पादकता को बनाए रखने के उपाय करने होंगे। यदि कंपनियां समय रहते कदम उठाएं, तो न केवल वे नुकसान से बच सकती हैं बल्कि नई तकनीकों और नवाचारों के माध्यम से आगे भी बढ़ सकती हैं। कुछ कंपनियां इस स्थिति को आपदा में अवसर के रूप में देख रही हैं और जलवायु से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए नई रणनीतियों पर काम भी शुरू कर चुकी हैं।