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CG: आदिवासी विकास विभाग में 3.83 करोड़ का दस्तावेज घोटाला, दस्तावेज की कमी से कोरबा पुलिस ने दर्ज नहीं किया केस ..

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CG: आदिवासी विकास विभाग में 3.83 करोड़ का दस्तावेज घोटाला, दस्तावेज की कमी से कोरबा पुलिस ने दर्ज नहीं किया केस ..

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में आदिवासी विकास विभाग में तीन करोड़ 83 लाख 28 हजार रुपए के घोटाले की शिकायत पुलिस तक पहुंच गई है। विभाग ने घोटाले का ठिकरा ठेकेदारों और डॉटा इंट्री ऑपरेटर पर फोड़ा है। मामले में तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत को स्पष्ट नहीं किया गया है।

31 मार्च को बैंक से निकाले गए 2.90 करोड़: यह कहते हुए चुप्पी साध ली है कि तत्कालीन सहायक आयुक्त, सहायक अभियंता और उप अभियंता के विरुद्ध जांच के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। आदिवासी विकास विभाग में हुई इस हाइप्रोफ्राइल घोटाले में अभी तक विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। विभाग ने न तो कभी किसी लिपिक को दोषी माना है न ही किसी अधिकारी को। अब इस मामले में केस दर्ज कराने के लिए पुलिस को शिकायत दी गई है। लेकिन इस घोटाले की जांच रिपोर्ट पुलिस को नहीं दी गई है। इससे पुलिस ने केस दर्ज करने से मना कर दिया है। यह गड़बड़ी सामने आने पर आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी ने कलेक्टर को अवगत कराया था। इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई थी।
संमूल दस्तावेज नहीं होने से कार्य का विवरण नहीं: आदिवासी विकास विभाग ने किन ठेकेदारों को किस किस काम के लिए दो करोड़ 90 लाख 95 हजार 904 रुपए का भुगतान किया? इससे संबंधित फाइल गायब है। यह भी पता नहीं चल रहा है कि ठेकेदार ने कहां कहां किस छात्रावास या आश्रम की मरम्मत किया? जरुरी सामान की खरीदी हुई या नहीं। इसके लिए टेंडर कब और किस माध्यम से किया गया? या बिना टेंडर किसी चेहेते ठेकेदार को अफसर ने काम का बंटवारा कर दिया। यह तमाम सवाल हैं, जिसका जवाब विभाग के पास नहीं है। लेकिन घोटाला उजागर होने पर विभाग ने कार्यों का सत्यापन कराया। आदिवासी विकास विभाग के बैंक खाते से ठेकेदारों को खाते में डाली गई राश के विवरण के आधार पर जांच हुआ। इसे जांच रिपोर्ट के आधार पर विभाग की ओर से केस दर्ज करने सिविल थाना को शिकायत दिया गया है।
दस्तावेज की कमी से कोरबा पुलिस ने दर्ज नहीं किया केस: 2022- 23 की समाप्ति तिथि के आखिरी दिन यानी 31 मार्च को चेक के जरिए केन्द्र सरकार से प्राप्त राशि में से दो करोड़ 90 लाख 95 हजार 904 रुपए निकाल लिए गए। इसमें से मेसर्स श्री साईं ट्रेडर्स पालीवाल बुक डिपो बालाजी मंदिर रोड आईटीआई रामपुर को 32 लाख 95 हजार 468 रुपए, मेसर्स श्री साई कृपा बिल्डर्स मंगल भवन, बाजार चौक, छुरी कोरबा को 79 लाख एक हजार 719 रुपए, मेसर्स एसएसए कंस्ट्रक्शन मने रोड चैतमा, साजाबहरी जिला कोरबा को 43 लाख 36 हजार 750 रुपए, मेसर्स बालाजी इन्फ्राइस्ट्रक्चर वार्ड नंबर 06, जायसवाल हाउस, राजीव नगर कटघोरा को एक करोड़ 35 लाख 61 हजार 967 रुपए का भुगतान किया गया।
कौन ले गया दस्तावेज: तीन करोड़ 83 लाख 28 हजार रुपए से विभाग में क्या क्या काम कराए गए हैं? इसका मूल दस्तावेज कार्यालय में नहीं है। इसमें कार्य से संबंधित टेंडर के दस्तावेज, कार्य शुरू करने के लिए जारी आदेश, कार्य प्रारंभ करने प्रशासकीय स्वीकृत राशि, तकनीकी स्वीकृति, ठेकेदारों को कार्य के बदले किया गया भुगतान से संबंधित दस्तावेज, चेकबुक और मेजरमेंट बुक आदि शामिल है।
क्या है मामला: बताया जाता है कि वित्तीय वर्ष 2021- 22 में केन्द्र सरकार ने आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले को छह करोड़ 62 लाख 29 हजार रुपए का आवंटन किया था। इस रुपए से छात्रावास और आश्रम की मरम्मत कराई जानी थी। आदिवासी बच्चों के लिए आश्रम व छात्रावास में जरुरी सामानों की खरीदी होनी थी। पहले तो यह राशि कई माह तक आदिवासी विकास विभाग परियोजना प्रशासक के कार्यालय में पड़ी रही। फिर इस राशि को खर्च करने को लेकर अफसर अचानक सक्रिए हो गया। 31 मार्च 2023 तक दो करोड़ 90 लाख 95 हजार 904 रुपए चेक के जरिए अलग अलग ठेकेदारों को प्रदान किया गया। सिविल लाइन कोरबा थानेदार प्रमोद डडसेना ने कहा की सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग की ओर से जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई है। इस कारण से एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।