ED ने क्या कहा?
ईडी ने कहा कि यह व्यवस्था भारत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का सीधा उल्लंघन है. ईडी की जांच से पता चला है कि मिंत्रा डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड ने खुद को थोक व्यापार में शामिल बताकर 1,654 करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया था. हालांकि, एजेंसी ने पाया कि कंपनी ने अपना ज्यादातर सामान एक अन्य कंपनी (वेक्टर ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड) को बेचा, जिसने फिर उन सामानों को सीधे खुदरा ग्राहकों को बेचा.
ईडी का मानना है कि मिंत्रा डिजाइन्स और वेक्टर ई-कॉमर्स, दोनों एक ही समूह की कंपनियां हैं. यह स्ट्रक्चर कथित तौर पर प्रत्यक्ष खुदरा बिक्री को बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के रूप में पेश करके और फिर वेक्टर के माध्यम से खुदरा (बी2सी) बिक्री करके एफडीआई नियमों को दरकिनार करने के लिए बनाया गया था.
ईडी ने आगे कहा कि मिंत्रा ने अप्रैल और अक्टूबर 2010 में लागू किए गए एफडीआई नियमों का उल्लंघन किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि समूह की कंपनियों को केवल 25 प्रतिशत तक थोक बिक्री की जा सकती है. हालांकि, मिंत्रा ने अपनी 100 प्रतिशत बिक्री वेक्टर को की, जिसे ईडी कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताता है. इन निष्कर्षों के आधार पर, प्रवर्तन निदेशालय ने फेमा, 1999 की धारा 16(3) के तहत शिकायत दर्ज की है. एजेंसी का आरोप है कि 1,654.35 करोड़ रुपए के लिए मिंत्रा और उसकी संबंधित कंपनियों ने फेमा की धारा 6(3)(बी) और कंसोलिडेटेड एफडीआई नीति दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है.